Sheohar: एईएस-चमकी बुखार पर नियंत्रण को स्कूलों में प्रार्थना सत्र में बच्चों को दी जाएगी बचाव की जानकारी
शिवहर में एईएस-चमकी बुखार के बचाव को लेकर शिक्षकों को मिले टिप्स सिविल सर्जन कार्यालय में आयोजित प्रशिक्षण में बीआरसी व सीआरसी के शिक्ष्रकों को दिया गया प्रशिक्षण । शिक्षकों को विद्यालय में प्रार्थना सत्र के बाद बच्चों को एईएस-चमकी बुखार के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया गया।
शिवहर, जासं। जिले में एईएस-चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए लगातार पहल जारी है। इसके तहत अब स्कूलों में प्रार्थना सत्र के दौरान ही बच्चों को एईएस-चमकी बुखार के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही इससे बचाव और जरूरी एहतियात की भी जानकारी दी जाएगी। इसके लिए सिविल सर्जन कार्यालय में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के बीआरसी और सीआरसी स्तरीय शिक्षकों को एईएस-चमकी बुखार, इसके लक्षण और बचाव की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को विद्यालय में प्रार्थना सत्र के बाद बच्चों को एईएस-चमकी बुखार के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया गया। बताया गया कि, जागरूकता के जरिए एईएस-चमकी बुखार पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बताया गया कि, एईएस-चमकी बुखार की स्थिति में बच्चों को तेज बुखार हो जाता है। अगर बच्चों को तेज बुखार हो तो उसे तुरंत ठंडा पानी से पोछे। साथ ही तुरंत चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। जरूरत पड़ने पर 102 पर कॉलकर एंबुलेंस को बुलाए।
जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. केके सिंह ने शिक्षकों को कहा कि, एईएस-चमकी बुखार से बचाव के लिए सबसे पहले यह जरूरी हैं कि, कोई भी बच्चा रात में भूखे नहीं सोए। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि, वे अपने- अपने क्षेत्र अंतर्गत विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चे को कभी भी भूखे नही सोने की जानकारी दें। साथ ही इसके लिए अभिभावकों को भी जागरूक करें। अभिभावकों को बताए कि, बच्चे को रात में खाना खिलाकर ही सुलाए। बुखार का लक्षण मिलते ही नजदीकी अस्पताल ले जाए या चिकित्सक से इलाज कराए। झाड़फूंक या नीम हकीम के चक्कर में नहीं पड़े। कहा कि, सभी अस्पतालों में इलाज और दवा की व्यवस्था की गई है।
सिविल सर्जन डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि, गर्मी की धमक के साथ ही इलाके में एईएस-चमकी बुखार का कहर शुरू हो जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर जिले में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। सीएस ने कहा कि, मस्तिष्क ज्वर, चमकी बुखार व एईएस तीनों एक ही बीमारी है। उन्होंने कहा कि, शिक्षकों के सहयोग से इन रोगों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है। प्रशिक्षण में जिले के सभी प्रखंडों के बीआरसी-सीआरसी स्तरीय शिक्षकों ने भाग लिया।