West champaran: बोर्ड से संबद्धता लिए बगैर संचालित माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के स्कूलों पर होगी कार्रवाई

माध्यमिक शिक्षा निदेशक गिरिवर दयाल स‍िंह ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जिले में संचालित ऐसे विद्यालयों की जांच का निर्देश दिया है। निदेशक ने कहा है कि बिना किसी बोर्ड से संबद्धता प्राप्त किए नौवीं से बारहवीं कक्षाओं का संचालन गलत है। ऐसे विद्यालय बंद किए जाएंगे।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 07:36 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 07:36 PM (IST)
West champaran: बोर्ड से संबद्धता लिए बगैर संचालित माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के स्कूलों पर होगी कार्रवाई
बोर्ड से संबद्धता लिए बगैर संचालित स्‍कूलों पर होगी कार्रवाई।

पश्‍च‍िम चंपारण, जासं। जिले में किसी भी बोर्ड से संबद्धता लिए बगैर माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर की कक्षाएं संचालित करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे स्कूलोंं का संचालन बंद किया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक गिरिवर दयाल ङ्क्षसह ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जिले में संचालित ऐसे विद्यालयों की जांच का निर्देश दिया है। निदेशक ने कहा है कि बिना किसी बोर्ड से संबद्धता प्राप्त किए नौवीं से बारहवीं कक्षाओं का संचालन गलत है। ऐसे विद्यालय बंद किए जाएंगे। उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है।

विभाग ने डीईओ को ऐसे विद्यालयों की जांच कर दोषी विद्यालय प्रबंधनों से स्पष्टीकरण तलब करने का निर्देश दिया है। निदेशक ने कहा है कि डीईओ अपने अपने जिलों में बिना संबद्धता माध्यमिक स्तरीय कक्षाओं का संचालन कर रहे स्कूलों को चिन्हित कर उनकी जांच करें। दोषी स्कूल प्रबंधनों से स्पष्टीकरण मांगा जाए तथा जांच में संबद्धता प्राप्त करने की दिशा में ठोस पहल का सबूत नहीं पाए जाने पर ऐसे स्कूलोंं को बंद किया जाए। बता दे कि विभागीय उदासीनता की वजह से जिले में दर्जनों ऐसे स्कूल हैं जो बिना किसी बोर्ड से संबद्धता प्राप्त किए धड़ल्ले से 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं का संचालन करते रहे हैं।

ऐसे स्कूल किसी संबद्धता प्राप्त स्कूल से टैग कर अपने यहां के बच्चों का 10 वीं व 12 वीं बोर्ड का परीक्षा फॉर्म भरवाते हैं। ऐसे में छात्रों व अभिभावकों से मनमाने शुल्क की वसूली की जाती है। 10वीं व 12वीं बोर्ड में लगने वाले शुल्क से 5 से 6 गुना अधिक शुल्क देकर इन स्कूलों के छात्र बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल होते हैं। ऐसे छात्रों से अन्य कई प्रकार के शुल्कों की भी वसूली की जाती है। इससे छात्रों व अभिभावकों का आर्थिक दोहन होता है।

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