रोज-रोज की जगहंसाई से आजिज स्वजनों के मोर्चा संभालते ही शराब से तौबा, पश्‍च‍िम चंपारण का मामला

West Champaran पश्चिम चंपारण के माधोपुर मलाही टोला व हरपुर गढ़वा के ग्रामीणों की पहल का दिख रहा अच्छा असर शराब पीने पर अपने ही पुलिस को सूचना दे पहुंचा रहे जेल लत छुड़वाने को नशामुक्ति केंद्र भी भेजते।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 02:17 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 02:17 PM (IST)
रोज-रोज की जगहंसाई से आजिज स्वजनों के मोर्चा संभालते ही शराब से तौबा, पश्‍च‍िम चंपारण का मामला
बि‍हार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद शराब पीने वाले सक्र‍िय। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पश्चिम चंपारण,{मोहम्मद मुस्लिम}। जागरूक ग्रामीणों ने मोर्चा संभाला और माधोपुर मलाही टोला व हरपुर गढ़वा गांव के पियक्कड़ों ने तौबा कर ली। पहले एक मामा ने शराबी भांजे को पुलिस के सिपुर्द किया। उसके बाद एक मां ने दुलारे बेटे को। उसके बाद तो दर्जनभर पियक्कड़ों को इसी तरह पुलिस के हवाले किया गया। तीन हजार से अधिक की आबादी वाले ये दोनों गांव जिले के मझौलिया प्रखंड में हैं।

छह महीने पहले शराबबंदी को लेकर जागरूक ग्रामीणों और मुखिया ने पहल की। लोगों से शराब नहीं पीने की अपील की गई। इसके प्रति जागरूक किया गया। इसके बाद भी गांव के कुछ लोग बाज नहीं आ रहे थे। शराब पीकर हंगामा करते थे। रोज-रोज की जगहंसाई से आजिज आए स्वजनों ने ही सबक सिखाने की ठानी। पहले हरपुर गढ़वा के हीरालाल ठाकुर ने अपने भतीजे प्रवेश ठाकुर को शराब पीकर हंगामा करने पर पुलिस को सूचना देकर जेल भिजवा दिया। इसी तरह का कदम माधोपुर मलाही टोला की मां ने बेटे झुन्नू कुमार को लेकर उठाया। उसके बाद तो दर्जनभर पियक्कड़ों के बारे में पुलिस को सूचना देकर स्वजनों ने ही जेल भिजवा दिया। ग्रामीणों की इस पहल से शराबियों पर अच्छा असर हो रहा है।

शराब से की तौबा 

हरपुर गढ़वा के इरशाद आलम कहते हैं कि शराबियों की हरकत से नजदीकी व रिश्तेदार परेशान रहते थे। आए दिन परिवार में कलह का माहौल रहता था। शराब पीकर घर में गाली-गलौज व मारपीट आम बात थी। समाज में इज्जत कम हो जाती थी। इससे आजिज ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना देनी शुरू कर दी। आज गांव के जब्बार व तसलीन सहित दर्जनभर लोग शराब से तौबा कर बेहतर ङ्क्षजदगी जी रहे हैं। इसी तरह माधोपुर मलाही के राजू कुमार व हीरालाल चौधरी ने शराब त्याग दिया है। हरपुर गढ़वा के अशोक शर्मा कहते हैं कि जिन शराबियों ने शराब नहीं छोड़ी, उन्हें जिला स्तर पर बने नशामुक्ति केंद्र भेजा गया। ऐसे लोगों की संख्या आधा दर्जन है।

पुलिस उपाधीक्षक मुकुल परिमल पांडेय का कहना है कि ग्रामीणों की अच्छी पहल से शराब पर रोक लगाने में सफलता मिल रही है। अन्य गांवों के लोग भी इसी तरह जागरूक हो जाएं तो अपराध की बहुत सी घटनाओं पर रोक भी लग जाएगी।

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