BIHAR: बहरीन में होम क्वारंटाइन के दौरान घर से बाहर निकलने पर मधुबनी के युवक को तीन साल की कैद

मधुबनी जिला के खजौली प्रखंड के रसीदपुर गांव का रहने वाला है मो. खालिद। पिछले आठ सालों से बहरीन में कर रहा इलेक्ट्रिशियन की नौकरी। कोरोना संक्रमण से ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी के बाद 17 दिनों के होम क्वारंटाइन में घर से बाहर निकलने पर मिली सजा।

By Murari KumarEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 05:20 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 05:20 PM (IST)
BIHAR: बहरीन में होम क्वारंटाइन के दौरान घर से बाहर निकलने पर मधुबनी के युवक को तीन साल की कैद
खजौली प्रखंड के रसीदपुर गांव का रहने वाला मो. खालिद (फ़ाइल फोटो)।

मधुबनी, जागरण संवाददाता। खजौली प्रखंड के रसीदपुर गांव का रहने वाला मो. खालिद अभी बहरीन की जेल में है। वह बहरीन गया तो था रोजी-रोटी की तलाश में, लेकिन यह उसे काफी महंगा पड़ गया। होम क्वारंटाइन अवधि में घर से बाहर निकलने के जुर्म में वहां की अदालत ने उसे तीन साल के कैद और पांच हजार दीनार (करीब 10 लाख भारतीय रुपये) के अर्थदंड की सजा सुना दी। यह खबर मिलते ही स्वजन परेशान हो उठे। परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है और अर्थदंड का भुगतान करने में सक्षम नहीं है। थक हारकर खालिद के बड़े भाई हुसैन अहमद ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।

बहरीन में आठ सालों से नौकरी कर रहा मो. खालिद :

दरअसर, मो. खालिद पिछले आठ सालों से बहरीन में इलेक्ट्रिशियन का काम करता है। आखिरी बार इस साल मार्च में वह अपने गांव रसीदपुर आया था और छुट्टियां बीता कर वापस बहरीन अपनी नौकरी पर चला गया। इस दौरान 18 मई को वह बहरीन में कोरोना पॉजिटिव हो गया। इसके बाद उसे वहां के एक कोविड कैंप में तीन दिनों के लिए रखा गया। इसके बाद एक होटल में और फिर एक अस्पताल में उसे शिफ्ट किया गया। आखिरकार, 31 मई को उसे अस्पताल से छुट्टी दी गई और उसे 17 दिनों के लिए होम क्वारंटाइन में रहने का निर्देश दिया गया।

पेट की भूख ने जेल पहुंचा दिया :

होम क्वारंटाइन अवधि के लिए उसकी कलाई पर एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रैक्टर भी बांध दिया गया था। वह वहां अपनी कंपनी की ओर से मिले मकान में अकेला रहता था। होम क्वारंटाइन के दौरान उसे खाना देने वाला भी कोई नहीं था। एक सप्ताह तक किसी तरह गुजारा करने के बाद सात जून को वह अपने घर से करीब 50 यार्ड की दूरी पर खाना लाने निकला। उसकी यह गलती उस पर काफी भाड़ी पड़ गई। घर से निकलने के दौरान किसी स्थानीय व्यक्ति ने उसका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके बाद मो. खालिद को पकड़ कर कोविड कैंप ले जाया गया जहां उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। बावजूद, उसे कोर्ट में पेश किया गया जिसके बाद उसे तीन साल के कैद और पांच हजार बहरीन दीनार के अर्थदंड की सजा सुना दी गई।

विदेश मंत्रालय पर टिकी स्वजनों की निगाहें :

मो. खालिद के भाई हुसैन ने बताया कि वह पांच भाई-बहन है। तीन वर्ष पूर्व उसकी शादी हुई थी। खालिद को डेढ़ साल का एक बेटा है। पत्नी और बेटा रसीदपुर गांव में ही खालिद के परिवार के साथ रहते हैं। सजा की बात सुनने के बाद से ही खालिद के पिता नियाज अहमद, पत्नी समेत स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वे कहते हैं कि उनके पास कानूनी लड़ाई लडऩे का सामथ्र्य नहीं है। रोजी-रोटी की तलाश ने खालिद को बहरीन पहुंचा दिया, लेकिन अब वह किसी तरह सलामत अपने घर वापस आ जाए, यही बहुत है। खालिद के बूढ़े पिता, पत्नी व बेटे की निगाहें अब विदेश मंत्रालय के पहल पर टिकी है।

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