मुजफ्फरपुर में हुई एक पंचायत ने जच्चा-बच्चा के जान की कीमत लगाई 3.75 लाख

सकरा थाने में जब नरेश राय ने लिखित शिकायत की तो नर्सिंग होम प्रशासन सकते में आ गया। प्राथमिकी और हंगामे के बाद शनिवार की देर रात 11 बजे मृतक के शव को गांव में भेज दिया। निजी नर्सिंगग होम संचालक ने मामले को सलटाने के लिए पंचायत बुलाई।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 11:14 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 11:14 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में हुई एक पंचायत ने जच्चा-बच्चा के जान की कीमत लगाई 3.75 लाख
पंचायत में प्रतिनिधियों ने बनाया मामला रफा-दफा करने का दबाव।

सकरा (मुजफ्फरपुर), संस। पैसे की भूख ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। स्वजनों को जिंदा होने का दिलासा देकर सात दिनों तक नर्सिंग होम संचालक स्वजनों से पैसे वसूलता रहा, लेकिन मरीज से किसी को मिलने नहीं दिया। हद तो तब हो गई जब मरीज के स्वजननर्सिंग होम पर हंगामा कर रहे थे। वहीं, संचालक मरीज के जिंदा होने की बात कह रहे थे। हालांकि स्वजनों ने उनकी मौत होने का संदेह थाने में की गई शिकायत में जताया था। सकरा थाने में जब नरेश राय ने लिखित शिकायत की तो नर्सिंग होम प्रशासन सकते में आ गया। प्राथमिकी और हंगामे के बाद शनिवार की देर रात 11 बजे मृतक के शव को गांव में भेज दिया। निजी नर्सिंगग होम संचालक ने मामले को सलटाने के लिए पंचायत बुलाई। पंचायत में मृत महिला व उसके बच्चे की कीमत 3.75 लाख लगाई गई। आधा दर्जन पूर्व व वर्तमान जनप्रतिनिधियों ने मामले को दबाने में दिलचस्पी दिखाई। सबने मिलकर मृतका के स्वजनों से सकरा थाने में की गई शिकायत वापस कराने की पहल की। इधर, पीडि़त मिश्रौलिया के गणेश राय के घर पर मातमी सन्नाटा पसरा रहा। गणेश की मां गाया देवी मृतका की पुत्री आठ वर्षीया काजल कुमारी व छह वर्षीया कामिनी कुमारी को गोद में लेकर बैठी थी। मृतका के पिता रामप्रीत राय ने कहा कि हमलोग गरीब हैं। नॄसग होम की लापरवाही से हमारी बच्ची की जान चली गई। समाज के लोगों ने जो फैसला किया, उसे मानकर हमलोगों ने बच्ची का दाह संस्कार कर लिया।

बता दें कि मिश्रौलिया निवासी नरेश राय ने अपनी भाभी को डिलीवरी के लिए सकरा रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन एक दलाल ने रेफरल अस्पताल से नाम कटवाकर उस नर्सिंग होम में भर्ती करा दिया था। पेशेंट का हीमोग्लोबिन कम होने के बावजूद आपरेशन कर दिया गया जिससे जच्चा- बच्चा की हालत चिंताजनक हो गई। इसके बाद संचालक ने मुजफ्फरपुर बेहतर इलाज के नाम पर भेज दिया। इलाज के नाम पर संचालक ने 2.16 लाख रुपये ले लिया था।

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