West Champaran : बेटा मुझे माफ करना अब मैं इस जिंदगी से थक गया हूं ...
पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज में खुदकुशी करने वाले व्यवसायी ने सुसाइट नोट में लिखा जीवन लीला खत्म करने की कहानी सांसद व विधायक से बच्चे की पढ़ाई की व्यवस्था करने की गुहार लॉकडाउन की वजह से नहीं चल रहा था व्यवसाय।
पश्चिम चंपारण, {सुधाकर मिश्र} । नगर के पुरानी बाजार वार्ड दो निवासी अवधेश कुशवाह ने पूरी प्लानिंग के साथ खुदकुशी की है। पिछले दो माह से कर्जदारों की प्रताडऩा से तंग आकर घर में कैद रह रहे अवधेश रात के अंधेरे में घर से निकला और बागीचे में खुदकुशी की। हालांकि खुदकुशी करने से पूर्व उसे अपने परिवारजनों के भविष्य की ङ्क्षचता थी, इस वजह से उसने अलग- अलग सुसाइट नोट लिखी है और फिर फंदे से लटक कर अपनी जीवन लीला को खत्म कर लिया है। वैसे सुसाइट करने वाले को कायर हीं कहा जाता है , लेकिन अवधेश की व्यथा से उसके आस पड़ोस के लोग भी परिचित हैं। दो माह पहले उसने दुकान इस लिए बंद कर दी कि दुकान पर सूदखोर पहुंच जाते थे और उसके साथ् बदसलूकी करते थे। स्थिति यह थी कि दिन भर मं कई लोग उसके दरवाजे पर आते थे और वह घर में रहता था ,लेकिन प्रताडि़त होने के डर से बाहर नहीं निकलता था। पत्नी व बच्चे सामने आते थे तो उन्हें भी प्रताडि़त होना पड़ता था।
पुत्र को संबोधित सुसाइट नोट
बेटा मुझे माफ करना। अब मैं थक चुका हूं। रोज रोज के अपमान से अच्छा है कि सम्मान के साथ मर जाएं। बेटा अपनी मां का ख्याल रखना, वह भी बहुत तनाव में है। ऐसा आचरण मत करना कि वह भी मेरे जैसा कदम उठा लें। बेटी रागिनी से उसे उम्मीद है। बेटी तुम खुश रहना। परिवार को संभाल लेना। अपनी पत्नी को संबोधित करते हुए लिखता है कि राधा जी आपभी मुझे माफ करना, अब कोई चारा नहीं है। महाजन तंग करे तो प्रशासन और प्रबुद्ध लोगों का सहारा लेना। ये हम से एक का ्रतीन ले लिए हैं। बाबू का ख्याल रखना। बेटे को पढ़ाना। चाहे घर बेच देना पड़े।
मेरी अंतिम इ्रच्छा में रूकावट मत बनना
मरने के बाद देह दान की अपनी इच्छा को लेकर पत्नी से निवेदन किया है कि मेरी अंतिम इच्छा में रूकावट मत बनना। मेरे शव को दान कर देना।-
महाजनों के आतंक से बीवी और बच्चों को बचाने की गुहार
सुसाइड नोट में वह पुलिस से गुहार लगाया है कि मेरे नहीं रहने के बाद महाजनों के आतंक से उसकी बीवी और बच्चों को बचाएंगे। सांसद व विधायक से अपील किया है कि उसके बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम कर देंगे।उधर,
अवधेश की मौत की सूचना के बाद उनके परिवार में मातम पसर गया। उसकी पत्नी राधा और उसकी बेटी रागिनी की चित्कार सुनकर लोगों की आंखें नम हो गई।