कैंसर से मरने वालों में 40 फीसद गुटखा और तंबाकू खाने वाले

कैंसर से मरने वाले लोगों में 40 प्रतिशत से अधिक तंबाकू गुटका खाने वाले होते हैं। इससे बचाव के लिए लोगों को स्वयं जागरूक होना होगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 31 May 2021 05:30 AM (IST) Updated:Mon, 31 May 2021 05:30 AM (IST)
कैंसर से मरने वालों में 40 फीसद गुटखा और तंबाकू खाने वाले
कैंसर से मरने वालों में 40 फीसद गुटखा और तंबाकू खाने वाले

मुजफ्फरपुर। कैंसर से मरने वाले लोगों में 40 प्रतिशत से अधिक तंबाकू गुटका खाने वाले होते हैं। इससे बचाव के लिए लोगों को स्वयं जागरूक होना होगा। समाज और सरकार को भी तंबाकू, खैनी, गुटखा के खाने और उत्पादन पर रोक लगाने के लिए आगे आना होगा। सीसीई के डिप्टी डायरेक्टर डॉ पंकज चतुर्वेदी ने संवाद के तहत मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना से ज्यादा घातक तंबाकू है। तंबाकू, सिगरेट, गुटखा की लत लगने से पहले छोड़ देना बेहतर है। एक बार इसके जद में चले गए तो बचाना मुश्किल होता है। डॉ.चतुर्वेदी ने कहा कि यदि गर्भवती महिला तंबाकू का सेवन करती है तो उसके जन्म लेने वाले बच्चे के जान पर संकट रहता है। वह अपंग हो सकता है। इस साल तंबाकू छोड़े, विजेता बने थीम पूरे विश्व के लिए है। इसको ध्यान में रखते हुए सालोभर जागरूकता अभियान चलेगा।

उन्होंने कहा कि कोविड़ से पीड़ित मरीजों की मृत्यु दर 2 प्रतिशत है, जबकि तंबाकू खाने से 30 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। जबकि 80 प्रतिशत लोग विलपॉवर, सोशल काउंसलिग से ठीक किए जा सकते हैं। गांव- देहात में खैनी को बुद्धिवर्धक चूर्ण कहा जाता है, लेकिन यह बुद्धिवर्धक नहीं बल्कि मृत्यु को आमंत्रण है। उन्होंने होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता और स्क्रीनिग अभियान को और तेज करने की बात कही। कहा कि तंबाकू छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है। इसके लिए टोबैको विद्राव सिस्टम को अपनाना होगा। सात दिन तक तंबाकू छोड़ने वाले व्यक्ति को बेचैनी और अन्य सिम्टम्स हो सकते हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति जब इसे चुनौती के रूप में स्वीकार कर ले तो इस बीमारी से निजात पा सकता है।

सात हजार की हुई स्क्रीनिग

होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ. रविकांत ने कहा कि अभी तक करीब सात हजार लोगों की स्क्रीनिग की गई है। इसमें 15 लोग हाईली सस्पेक्टेड मरीज मिले हैं। अस्पताल में करीब 40 लोगों का ऑपरेशन किया जा चुका है। तंबाकू निषेध के लिए संस्था द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1800 12356 जारी किया गया है। इस पर कोई भी व्यक्ति मिस कॉल कर सकता है। मिस कॉल करने वाले लोगों को संस्था की ओर से कॉल बैक किया जाएगा और उनको सभी प्रकार की सलाह निशुल्क दी जाती है। विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ गुंजेश ने कहा कि ओपीडी में जितने भी कैंसर संदिग्ध मरीज आते हैं, उसमें 40 फभ्सद मरीज तंबाकू और धूमपान से पीड़ित होते हैं। यदि समय से इसकी पहचान हो जाए और इलाज शुरू कर दिया जाए तो कैंसर का इलाज संभव है।

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