मुजफ्फरपुर में वायरल बुखार और ब्रांकियोलाइटिस के 30 मरीज भर्ती
एसकेएमसीएच के विभागाध्यक्ष डा.गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि पीकू वार्ड में 52 बच्चों का इलाज चल रहा है। स्वस्थ्य होने के बाद 20 बच्चों डिस्चार्ज किया गया। वहीं केजरीवाल अस्पताल के केयर टेकर रंजन मिश्रा ने बताया कि उनके अस्पताल में 63 बच्चों का इलाज चल रहा है।
मुजफ्फरपुर, जासं। वायरल बुखार और ब्रांकियोलाइटिस के 30 नए मरीज मंगलवार को भर्ती किए गए। पिछले 24 घंटे में एसकेएमसीएच में पांच व केजरीवाल में 25 बच्चे भर्ती हुए हैैं। एसकेएमसीएच के विभागाध्यक्ष डा.गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि पीकू वार्ड में 52 बच्चों का इलाज चल रहा है। सभी की हालत में सुधार हो रहा है। स्वस्थ्य होने के बाद 20 बच्चों डिस्चार्ज किया गया। वहीं, केजरीवाल अस्पताल के केयर टेकर रंजन मिश्रा ने बताया कि उनके अस्पताल में 63 बच्चों का इलाज चल रहा है। स्वस्थ होने के बाद 30 बच्चों को डिस्चार्ज किया गया। भर्ती सभी बच्चों की हालत में सुधार हो रहा है।
बच्चे के स्वास्थ्य का रखें ख्याल
डा.गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि इस मौसम में बच्चे के स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरूरी है। उनका धूप व बारिश से बचाव करें। अगर बुखार हो तो तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाएं। गांव में किसी भी ओझा-गुनी के चक्कर में न पड़ें। समय पर इलाज होने के बाद बच्चा जल्दी स्वस्थ होता है।
कोरोना को तैयार वार्ड में होगा वायरल बुखार वाले मरीज का इलाज
मुजफ्फरपुर : कोरोना की तीसरी लहर को लेकर हर पीएचसी में 10 बेडों का विशेष वार्ड तैयार है। इसका उपयोग अब वायरल बुखार से पीडि़त बच्चे के इलाज के लिए होगा। इस विशेष वार्ड में हर जरूरी दवा सहित इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने कहा कि इलाज के लिए पीएचसी स्तर पर दवा के साथ सभी उपकरण उपलब्ध हैं। अगर बच्चे का प्रारंभिक इलाज पीएचसी स्तर पर होता है तो वह जल्द स्वस्थ्य होगा। गांव से सदर अस्पताल, एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल पहुंचने में समय लगता है। इसलिए अब नई सुविधा दी जा रही है।
खोज अभियान में 210 फाइलेरिया के मरीज मिले
मुजफ्फरपुर : रोगी खोज अभियान के तहत फाइलेरिया (हाथी पांव) के लक्षण वाले 210 मरीज मिले हैं। बड़ी संख्या में मरीज मिलने के बाद विभाग की चिंता बढ़ गई है। मरीजों के खून का नमूना लेकर जांच को भेजा गया है। सर्वेक्षण में लगे केयर इंडिया के जिला समन्वयक सौरभ तिवारी ने बताया कि पिछले 15 दिनों से फाइलेरिया मरीज की खोज के लिए हर प्रखंड में एक- एक टीम की तैनाती की गई थी। अब तक 210 मरीज सामने आए हैं। हर प्रखंड में औसतन 10 से 12 मरीज मिल रहे हैं। सर्वे टीम प्रखंड में कैंप करती है तथा वहीं से रिपोर्ट देती है।
रात के समय लिया जाता है नमूना
फाइलेरिया कृमि आंत में न रहकर खून में रहती है और ये केवल रात में ही खून में सूक्ष्मदर्शी यंत्र के माध्यम से दिखते हैं। यही कारण है कि रोगी की जांच के लिए रक्त रात को 12 बजे के बाद नमूना लिया जाता है। नर कृमि की तुलना में मादा बड़ी होती है।