West Champaran: गन्ने की फसल में लगते 200 कीट, एक दर्जन कीटों से होता सर्वाधिक नुकसान

West Champaran ई किसान चौपाल में शामिल हुए केंद्रीय कृषि विद्यालय पूसा माधोपुर और नरकटियागंज के कृषि विज्ञानीगन्ने में समेकित रोग एवं कीट प्रबंधन विषय पर आयोजित हुआ कार्यक्रम इस साल के सीजन में बार‍िश की वजह से गन्‍ना क‍िसानोंं को नुकसान।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 03:30 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 03:30 PM (IST)
West Champaran: गन्ने की फसल में लगते 200 कीट, एक दर्जन कीटों से होता सर्वाधिक नुकसान
पश्‍च‍िम चंपारण में गन्‍ना में कीट लगने हो होती है क‍ि‍सानों को नुकसान। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पश्चिम चंपारण, जासं। डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित जिले में कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज ने ई-किसान चौपाल का आयोजन किया। गन्ने में समेकित रोग एवं कीट प्रबंधन विषय पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक प्रसार शिक्षा, पूसा डॉ एमएस कुंडू ने की। उन्होंने किसानों को सलाह दिया की गन्ने की खेती के साथ रबी मौसम में उगाई जाने वाली फसलें आलू, मटर, लहसुन, प्याज, सरसों, मसूर आदि की सह-फसली खेती कर आय को दोगुना किया जा सकता है। डॉ अनुपमा कुमारी उप निदेशक प्रसार शिक्षा ने गन्ने की वैज्ञानिक खेती एवं नवीनतम तकनीकों को अपनाने का सुझाव दिया।

रोग एवं कीट प्रबंधन प्रणाली आवश्यक

चौपाल में कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ आरपी सिंह ने बताया कि गन्ने में 200 से अधिक कीटों का प्रकोप होता है। लेकिन उसमें 12 से 15 कीट अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। फसल में रोगों एवं कीटों के प्रकोप से 25 से 30 प्रतिशत तक नुकसान हो जाता है। इसके लिए समेकित रोग एवं कीट प्रबंधन प्रणाली अपनाने की आवश्यकता है।

इन कीटों से गन्ना को अधिक नुकसान

प्रमुख कीटों दीमक, तना छेदक, अंकुर वेधक, जड़ बेधक, चोटी वेधक, प्लासी बोरर, पायरिला, गुरदासपुर वेधक, काला चिकता, सफेद गिडार आदि की जानकारी किसानों को दी। स्थानीय चीनी मिल के विशेषज्ञ डॉ पी गुप्ता ने गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग, उनकी पहचान एवं समेकित प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया और सहफसली के लिए जोर दिया । इस बार के सीजन में बार‍िश की वजह से गन्‍ना क‍िसानों का काफी नुकसान होने की संभावना है । कार्यक्रम में करीब चार दर्जन किसान शामिल हुए। माधोपुर के विज्ञानी डॉ एसके गंगवार, डॉ डीके तिवारी, डॉ कुमारी सुनीता, डॉ प्रवीण मिश्रा एवं अवधेश कुमार आलोक कुमार सिंह, रामआशीष कुमार सिंह, ओएन झा, रोशन कुमार, अशोक कुमार बैठा, नितेश कुमार, जय शंकर कुमार आदि शामिल रहे।

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