10 हजार लहठी कारीगरों के सामने भुखमरी की नौबत
कोरोना संक्रमण को लेकर जारी लॉकडाउन का असर अब गहराने लगा है।
मुजफ्फरपुर : कोरोना संक्रमण को लेकर जारी लॉकडाउन का असर अब गहराने लगा है। दुकानें बंद होने से चूड़ी-लहठी के कारीगर घर बैठ गए हैं। जिले में करीब 10 हजार कारीगर इस पेशे से जुड़े हैं। इनके औजार और भट्ठियां ठंडी हो गई हैं। इससे परिवार चलना भी मुश्किल होता जा रहा है। भुखमरी की नौबत आ गई है।
पिछले साल भी लॉकडाउन में उनकी ऐसी ही स्थिति हो गई थी। अब स्थिति सही होने लगी थी, लेकिन फिर इस साल लॉकडाउन लग गया। यहां के कारीगरों की बनाई गई लहठी सिने अभिनेत्रियों तक को भेजी जाती है। हालांकि कुटीर उद्योग चल रहे हैं, लेकिन खरीदार नहीं होने से केवल फैक्ट्रियां खुल रही हैं। लहठी तैयार नहीं की जा रही हैं। सरकार की नई पॉलिसी में औद्योगिक क्षेत्र को लॉकडाउन से मुक्त रखा गया है, लेकिन दुकानें बंद होने से प्रोडक्शन बंद है।
कारीगरों के सामने दोहरा संकट
लाह की चूड़ियों के थोक व खुदरा विक्रेता सूरज बैंगल्स के प्रोपराइटर सूरज कुमार का कहना है कि कोरोना से बाजार, मंदिर व यात्रियों का आना-जान बंद है। ऐसे में उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सुमेरा के कारीगर आशिक का कहना है कि चूड़ी, लहठी नहीं बनने से रोज मिलने वाला मेहनताना बंद हो गया है। इससे उनके सामने दोहरा संकट पैदा हो गया है। एक कोरोना का और दूसरा पेट भरने का।
शादी का सीजन, नहीं हो रही बिक्री
दुकानदारों का कहना है कि इस समय शादी का सीजन चल रहा है, लेकिन एक भी चूड़ी-लहठी नहीं बेच सके। प्रशासन थोड़ी छूट दे तो गाइडलाइन का पालन करते थोड़ा-बहुत कमा कर पेट चला लेंगे। इस्लामपुर लक्ष्मीनारायण रोड में इसकी करीब 70 दुकानें हैं।
दुकान का जा रहा रेट, नहीं चल रहा कारोबार
प्लास्टिक की चप्पल-जूते आदि के विक्रेता मुकुल शरण ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों से एक भी लोग नहीं आ रहे। दुकान का रेंट भी जा रहा, लेकिन कारोबार नहीं चल रहा। अगर तीन महीना ऐसे ही रहा तो भूखे मरना पड़ेगा।