शोषितों को न्याय दिलाने के लिए किसी से लड़ने-भिड़ने के लिए तैयार रहते हैं कामरेड दिलीप

मुंगेर । अपने लिए तो सब जीते हैं। लेकिन सही मायने में जीना उसी को कहते हैं जो दूसरे के क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 07:27 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 07:27 PM (IST)
शोषितों को न्याय दिलाने के लिए किसी से लड़ने-भिड़ने के लिए तैयार रहते हैं कामरेड दिलीप
शोषितों को न्याय दिलाने के लिए किसी से लड़ने-भिड़ने के लिए तैयार रहते हैं कामरेड दिलीप

मुंगेर । अपने लिए तो सब जीते हैं। लेकिन, सही मायने में जीना उसी को कहते हैं, जो दूसरे के काम आए। इस वाक्य को अपने जीवन का ध्येय वाक्य मानने वाले कामरेड दिलीप कुमार शोषितों को न्याय दिलाने के लिए किसी से भी लड़ने-भिड़ने के लिए तैयार रहते हैं। बिना आयरन किए हुए शर्ट और फूलपैंट पहने दिलीप कभी पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए किसी अधिकारी के कार्यालय में दिख जाते हैं, तो कभी अधिवक्ता के रूप में न्यायालय में मुकदमा की पैरवी करते हुए। पेशे से अधिवक्ता दिलीप कुमार सीपीआइ के जिला सचिव भी हैं। दिलीप युवा अवस्था में ही ट्रेड यूनियन से जुड़ गए। उस समय मुंगेर नगर निगम नगर परिषद था। सफाई कर्मचारियों के वेतन में काफी विसंगती थी। वहीं, अनियमित विद्युत आपूर्ति भी सफाई कर्मचारियों के लिए बड़ी समस्या थी। दिलीप ने कहा कि इसके खिलाफ लगभग एक दशक तक लड़ाई लड़नी पड़ी। अब नियमित वेतन का भुगतान हो रहा है। दिलीप ने कहा कि पहले दबंग लोग रिक्शा पर बैठ जाते थे, किराया मांगने पर रिक्शा चालकों के साथ मारपीट भी करते थे। यह समस्या सामने आने के बाद मैंने रिक्शा चालकों को संगठित किया। रिक्शा चालकों को ऐसे तत्वों का एकजुट होकर प्रतिकार करने के लिए तैयार हो गया। कानूनी मदद भी ली गई। इसके बाद स्थिति में सुधार हुआ।

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गरीबों के लिए कोर्ट में करते हैं निश्शुल्क पैरवी

धरहरा की कुसमी देवी के पुत्र को मजदूरी करने के बाद ही गांव के दबंगों ने मजदूरी नहीं दी। विरोध करने पर कुसमी देवी के पुत्र की पिटाई भी कर दी। कुसमी के आवेदन पर धरहरा थाना में मुकदमा दर्ज किया गया। लेकिन, विरोधी पक्ष से आवेदन लेकर पुलिस ने पहले कुसमी देवी के पुत्र पर भी मुकदमा दर्ज कर लिया। कुसमी देवी दातून बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करती है। ऐसे में उसके लिए न्यायालय में मुकदमा की पैरवी करना आसान नहीं था। दिलीप ने कुसमी देवी के मुकदमा की निश्शुल्क पैरवी कर उसे न्याय दिलाया।

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बोले दिलीप

मैं अपने स्तर से हर संभव पीड़तों की मदद करने की कोशिश करता हूं। एक भी पीड़ित को न्याय दिलाने में सफलता मिलने के बाद जो खुशी मिलती है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।

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