निष्काम भाव से ईश्वर की भक्ति करना ही सच्ची भक्ति : स्वामी सुबोधानंद
मुंगेर । निष्काम भाव से ईश्वर की भक्ति करना ही सच्ची भक्ति है। प्रभु का सच्चा भक्त वही है जो भगव
मुंगेर । निष्काम भाव से ईश्वर की भक्ति करना ही सच्ची भक्ति है। प्रभु का सच्चा भक्त वही है, जो भगवान से ही प्रेम करता है। सच्चे हृदय से उन्हें याद करता है और बदले में उनसे संसार की कोई वस्तु नहीं मांगता है। ऐसे भक्त प्रभु से से यही कहते हैं कि - हे प्रभु मुझे सिर्फ आपका प्रेम चाहिए। लोक परलोक की सुख -संपत्ति , अष्टसिद्धि -नवनिधि , यश कीर्ति यहां तक की जन्म मरण से मुक्ति भी नहीं चाहिए । उक्त बातें स्वामी पथिक जी महाराज के परम शिष्य हरिद्वार के स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने विक्रमपुर दुर्गास्थान में आयोजित श्रीमदभागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन रविवार को श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। स्वामी जी ने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति को बचपन से ही प्रभु भक्ति करनी चाहिए, क्योंकि जीवन नश्वर और क्षणभंगुर है। कब जीवन साथ छोड़ दे, कोई नहीं जानता । ध्रव एवं प्रहलाद जी ने नारद जी की प्रेरणा से बचपन से ही प्रभु भक्ति में खुद को लगा कर अपना जीवन सफल कर लिया। स्वामी सुबोधानंद जी ने कहा कि प्रहलाद जी का मन नित्य निरंतर भगवान में ही लगा रहता था । उन्हें तो मारने का प्रयत्न करने वाले असुरों में भी भगवान का ही दर्शन होता था। इस अवसर पर इस अवसर पर मुखिया ज्योति वैध, राजेंद्र मोदी, प्रवीण साह, सुबोध साह, सुरेश साह, गुंजा देवी, रहमतपुर मुखिया पूनम देवी, प्रो. दिलीप कुमार रंजन, मुखिया प्रतिनिधि सुरेश मांझी, सचिव लाल बहादूर साह, दिनेश साह, चंदन पूर्वे आदि मौजूद थे।