घर पर मिला रोजगार, संभल गया परिवार

कैचवर्ड-जनसंख्या नियोजन- ------------------------- -असरगंज प्रखंड में खुले कपड़ा फैक्ट्री में छ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 06:33 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:09 PM (IST)
घर पर मिला रोजगार, संभल गया परिवार
घर पर मिला रोजगार, संभल गया परिवार

मुंगेर । जिले के असरगंज और तारापुर प्रखंड की लगभग छह दर्जन से ज्यादा महिलाओं को जीविका का सहारा मिल गया है। इन महिलाओं को घर पर ही रोजगार मिलने से परिवार और बच्चों का भविष्य बना रहे हैं। दरअसल, असरगंज में कपड़ा बनने की मैन्युफैक्चरिग फैक्ट्री खुली है। अभी 75 महिलाएं कपड़ा बनाने (सिलाई-कटाई) का काम कर रहीं हैं। घर पर ही रोजगार मिलने से महिलाएं खुश हैं। सभी महिलाएं असरगंज और तारापुर प्रखंड की है। इन्हें हर माह आठ से नौ हजार रुपये का पारिश्रमिक के तौर पर भुगतान किया जाता है। घर पर रोजगार मिलने से आधी आबादी को बहुत राहत मिली है, घर चलाने से लेकर बच्चों को स्कूल में पढ़ा का खर्च निकल रहा है। अभी इस फैक्ट्री में महिलाएं अभी नाइट ड्रेस और लड़कियों का हर साइज में परिधान तैयार कर रही है। यहां बनने वाले कपड़ों को बिहार और झारखंड के बाजार में भेजा जाएगा। यहां बने नए कपड़े पसंद आ रहे हैं। नौ घंटे की ड्यूटी में एक घंटे चाय और भोजन के लिए दिया जाता है। इस फैक्ट्री का शुभारंभ हाल के दिनों में उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने किया था। असरगंज से रजनीश की रिपोर्ट.. ----------------------- रोजगार के लिए पलायन में कमी असरगंज बाजार में खुले मेसर्स भारती एग्जिम में कपड़े का रा-मैटेरियल दिल्ली से आता है। यहां कपड़े की कटिग कर अलग-अलग साइज का परिधान तैयार करने का काम महिलाएं कर रही हैं। अभी इस फैक्ट्री में नाइट ड्रेस और युवतियों, बच्चे के कपड़े तैयार हो रहे हैं। नए वर्ष से यहां शर्ट-पैंट भी तैयार होंगे। फैक्ट्री के निदेशक मानस कुमार ने बताया कि महिलाओं को रोजगार मिलने से बाहर जाने की नौबत नहीं है। एक छत के नीचे छह दर्जन से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। आने वाले दिनों में फैक्ट्री में नए-नए परिधान को तैयार कर बाजार में उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मदद मिली तो व्यापार और फलक पर आएगा। कई कंपनियां यहां आएगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। -------------------- महिला कारीगर को घर जैसा माहौल प्रबंधन का काम देख रहे रंजीत कुमार साह ने बताया कि यहां काम करने वाली महिलाओं को घर जैसा माहौल मिलता है। नौ घंटे की ड्यूटी में उन्हें भोजना और चाय के लिए अलग से समय दिया जाता है। महिलाएं पूरी मेहनत और लगन से काम रही हैं। आने वाले दिनों में यहां और लोगों का जुड़ाव होगा। फैक्ट्री खुलने के पीछे रोजगार के लिए पलायन हो रहे लोगों को रोकना ही मकसद है। अभी तक सरकार की ओर से आश्वासन मिला है। मदद मिली तो कारोबार और बढ़ेगा। कपड़ा सिलाई के बाद चार प्रोसेस से गुजरने के बाद इसकी साइज के अनुसार पैकिग होती है। ------------------ केस स्टडी-एक -यहां काम कर रही प्रीति कुमारी का कहना है कि फैक्ट्री के खुलने से काफी राहत मिली है। घर पर रोजगार मिलने से बच्चे और परिवार को संभालने में काफी काफी मदद मिल रही है। रोजगार की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ रहा है। ------ केस स्टडी-दो -यहां सिलाई का काम करने के साथ-साथ महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही रुपकला ने कहा कि फैक्ट्री खुलने से घर पर रोजगार मिल गया है। आधी आबादी को घर पर ही रोजगार मिल गया। इससे घर-परिवार में खुशी का माहौल है।

chat bot
आपका साथी