वेंटीलेटर पर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था, बढ़ी मरीजों की परेशानी

मुंगरे। स्वास्थ्य सेवा में सुधार को लेकर विभागीय अधिकारियों द्वारा बड़े बड़े दावे किए जाते हैं

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 08:14 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 08:14 PM (IST)
वेंटीलेटर पर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था, बढ़ी मरीजों की परेशानी
वेंटीलेटर पर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था, बढ़ी मरीजों की परेशानी

मुंगरे। स्वास्थ्य सेवा में सुधार को लेकर विभागीय अधिकारियों द्वारा बड़े बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन, जमीन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जिला की स्वास्थ्य व्यवस्था खुद वेंटीलेटर पर दिखाई देती है। इस कारण मरीजों को अब भी गुणवत्तापूर्ण चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पाती है। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में भी मरीजों को निबंधन से लेकर इलाज, जांच व दवा काउंटर तक संघर्ष करना पड़ता है। प्रतिदिन करीब 400 से 500 मरीज अस्पताल में इलाज कराने पहुंचते हैं। चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मियों और दवाओं की कमी के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक चिकित्सक के सहारे ओपीडी संचालित हो रहा है। रोस्टर में ओपीडी में दो से तीन चिकित्सक का ड्यूटी लगाई जाती है, परंतु मात्र एक चिकित्सक ही इलाज करते हैं। स्थिति यह होता है कि एक चिकित्सक को करीब 200 मरीजों का इलाज करना पड़ता हैं। इलाज के लिए मरीज घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है। कई बार जब मरीज और उनके स्वजनों का धैर्य जाबव दे जाता है, तो वे हंगामा पर भी उतारू हो जाते हैं। ---------------------------------------------- सोमवार को करीब 10 बजे ओपीडी में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. निरंजन कुमार सिंह मरीजों को बारी-बारी से देख रहें थे। वहीं, फिजिशियन का कक्ष खाली पड़ा था। इसके अलावा शिशु वार्ड में 10:30 बजे तक शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक दिखाई नहीं दिए। नवजात शिशुओं के माता पिता अपने बच्चे के साथ सुबह आठ बजे से डॉक्टर का इंतजार करते दिखे। एसएनसीयू में नौ नवजात बच्चे भर्ती थे। लेकिन चिकित्सक नहीं थे। एएनएम ने कहा कि स्थिति गंभीर होने पर ही चिकित्सक को बुलाया जाता है। वहीं, प्रसव केद्र में भी चिकित्सक आन काल रहती है। बताते चले कि अधिकांश चिकित्सक अस्पताल में इलाज करने के बजाए अपने निजी क्लनिक में मरीजों का इलाज करने में व्यस्त रहते हैं । ऐसे चिकित्सक या तो बिना सूचना डयूटी से गायब रहते हैं या फिर देर से अस्पताल पहुंचते हैं। 75 बेड वाले सदर अस्पताल की व्यवस्था खुद वेंटीलेटर पर है। यही वजह है कि यहां मरीजों को अक्सर रेफर कर दिया जाता है। -------------------------------------- सुविधा संपन्न ऑपरेशन थिएटर, मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ सदर अस्पताल का ऑपरेशन थिएटर सुविधा संपन्न है। बावजूद मरीजों को लाभ नहीं मिल पाता है। यहां सिर्फ बंध्याकरण होता है। अन्य मामलों में मरीज रेफर कर दिए जाते हैं। यहां तक कि सिजेरियन प्रसव की नौबत आने पर प्रसव पीड़िता को भी रेफर कर दिया जाता है। साधारण हाड्रोसील एवं अपेंडिक्स का भी ऑपरेशन नहीं हो पाता है। जबकि सदर अस्पताल में तीन सर्जन एक एनेथेसिया के डॉक्टर मौजूद हैं। ------------------------------------------- इमरजेंसी से लेकर वार्ड में पंखा है बंद : भीषण गर्मी व सदर अस्पताल की कुव्यवस्था से पहले तो मरीज परेशान थे, लेकिन अब यहां मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक भी अस्पताल की कुव्यवस्था से परेशान होने लगे हैँ। सदर अस्पताल के इमरजेंसी में मरीजों के लिए लगाया गया पंखा और एसी लंबे समय से खराब है। इस कारण सदर अस्पताल के इमरजेंसी में मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सकों को गर्मी में ही ड्यूटी करना पड़ रहा है। एक वर्षो से खराब एसी व पंखे को सदर अस्पताल के अधिकारियों ने बदलना भी मुनासिब नहीं समझा। ----------------------- अस्पताल स्थित जांच घर में कई जरूरी जांच की सुविधा नदारद : सदर अस्पताल में हेपेटाइटिस बी ,सुगर एलवोमीन, लैक्टोल, ब्लड ग्रुप जांच, भीडीआरएल सहित कई जरूरी जांच बीते कई दिनों से नहीं हो रहा है। इस कारण मरीजों को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है। मरीजों के जेब पर अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ने से गरीब मरीज कर्ज लेकर इलाज कराने को विवश हैं। वहीं, देर शाम छह बजे के बाद आपातकालीन स्थिति में रक्त जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। अगर रात में कोई गंभीर स्थिति में मरीज आ जाए तो उसके रक्त की जांच या अन्य जांच के लिए सुबह तक इंतजार करना पड़ता है या फिर निजी पैथोलॉजी का सहारा लेना पड़ता है। ---------------------------- विधायक के आश्वासन के बाद भी नहीं बनी अस्पताल की जर्जर सड़क : सदर अस्पताल परिसर की जर्जर सड़क हो गई है। इमरजेंसी वार्ड के समीप की सड़क में भी जगह जगह गड्ढें बन आए हैं। इस कारण मरीज और उनके स्वजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यही हाल महिला वार्ड परिसर का है। इस मामले में स्थानीय विधायक प्रणव कुमार यादव ने बताया कि हमने अस्पताल में पीसीसी सड़क निर्माण के लिए प्राक्कलन बनने का निर्देश विभाग को दिया है। प्राक्कलन बनने के बाद सड़क निर्माण कराने की दिशा में पहल किए जाएंगे। ---------------------------------------------------------- सदर अस्पताल में 32 चिकित्सक के जगह 22 पोस्ट --- स्वीकृत पद--कार्यरत--- रिक्त अधीक्षक ----01 -------- 00 -------01 शिशु रोग ---02 ---------01 -------01 चर्म रोग ----01 ----------00 ------01 आर्थो --------01-----------00-------00 पैथोलॉजी ---01-----------01-------00 रेडियोलॉजिस्ट02---------00-------02 सर्जन ---------02----------02-------00 फिजिशियन---02----------02-------00 ऐनेथेसिया-----02----------02-------00 गायनोलाजिस्ट02---------02-------00 इएनटी --------01----------00-------01 नेत्र------------01 ----------01------00 दंत -------------01----------00-------01 जेनरल एमओ--09---------09--------00 ------------------------------------------------------------- ओपीडी में नियुक्त चिकित्सक यदि बिना किसी कारण के गायब रहते हैं, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। उस दिन उस चिकित्सक को अनुपस्थित माना जाएगा। इसके अलावा उन्हें स्पष्टीकरण भी देना होगा। चिकित्सक की कमी के कारण कई आपरेशन होने में परेशानी हो रही है। चिकित्सक की कमी दूर होते ही मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध होने लगेगी। डॉ. हरेंद्र कुमार आलोक, सिविल सर्जन मुंगेर

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