पहले कोरोना को दिया मात, अब दूसरों की जिदगी बचाने आ रहे हैं आगे
मुंगेर। एक समाजसेवी ने अपना अपना प्लाज्मा दान कर 75 वर्षीय वृद्ध की जान बचाई। वासुदेवपुर ओपी इलाके
मुंगेर। एक समाजसेवी ने अपना अपना प्लाज्मा दान कर 75 वर्षीय वृद्ध की जान बचाई। वासुदेवपुर ओपी इलाके के माधोपुर निवासी शंभु कुमार ने प्लाज्मा डोनेट कर वृद्ध की जान बचाई। शंकरपुर के 75 वर्षीय गोपी यादव के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद स्वजनों ने एक निजी क्लनिक में गंभीर स्थिति में भर्ती कराया। जहां चिकित्सक ने प्लाज्मा थेरेपी की सलाह दी। उसका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था। शंभु कुमार को जब इस बात की सूचना मिली तो उन्होंने पटना जाकर अपना प्लाज्मा डोनेट किया। शंभु कुमार कोरोना को हराकर घर लौटे हैं। शंभु कुमार ने बताया कि हमें चिकित्सक ने यह जानकारी दी थी कि कोरोना के मरीज स्वास्थ्य होने के 28 दिन बाद अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। जिसे गंभीर रूप से पीड़ित मरीज के ब्लड से क्रॉस मैच किया जाता है। बताते चले कि शंभु कुमार समाजसेवी के साथ खुशी गृह उद्योग के नाम से कटरिया पंचायत में राइस मिल संचालित करते हैं। उनका कहना है जरूरतमंदों की मदद करने से जो खुशी मिलती है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।
गोपी यादव के पुत्र विनोद कुमार एयर फोर्स में नियुक्त है। जब उनके पिता कोरोना पॉजिटिव हुए तो इलाज के लिए शहर के एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराया। चिकित्सक ने उसे बताया यदि प्लाज्मा मिले तो इसकी जान बच सकती है। इसके बाद हमने पटना के इएसआइ अस्पताल ले गए। वहां डॉ. समीर, डॉ. आदिल, डॉ. तिलक की देख रेख में प्लाज्मा चढ़ाया गया। वे कहते हैं कि अब हमारे पिता काफी स्वास्थ्य हैं।
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डोनर के शरीर में मात्र 72 घंटे प्लाज्मा रिकवर हो जाता है
एंटीबॉडीज सहित अन्य जांच की जाती है। इसके बाद प्लाज्मा लिया जाता है और देने वाले का 20 से लेकर 40 घंटे तक समय लगता है। डोनर के शरीर में मात्र 72 घंटे में प्लाज्मा रिकवर हो जाता है। वह तीन दिन बाद पुन: प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। एक बार में 400 एमएल प्लाज्मा डोनेट किया जाता है। जिसे 200 एमएल-200 एमएल कर के दो बार में चढ़ाया जाता है। जो व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हुए और स्वस्थ्य हो चुके हैं, वे अपना प्लाज्मा देकर गंभीर रूप से कोरोना से पीड़ित मरीज की जान बचा सकते हैं। कोरोना की जंग जीतने के बाद संबंधित व्यक्ति के शरीर में एंटीबाडीज तैयार हो जाता है। जो प्लाज्मा के माध्यम से गंभीर रूप से पीड़ित मरीज के शरीर में जाकर बहुत तेजी से रिकवर करा देता है।
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प्लाज्मा डोनेट के बाद नहीं होता है कमजोरी का एहसास
शंभु कुमार ने कहा कि उन्हें प्लाज्मा देने के बाद ऐसा लगा ही नहीं कि शरीर से कुछ निकला है। मैं इससे पहले भी दर्जनों बार रक्तदान कर चुका हूं। प्लाज्मा डोनेट करने के बाद भी कमजोरी महसूस नहीं कर रहा हूं।
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शंभु ने बताया अपना अनुभव
शंभु कुमार ने कहा कि आसन और प्राणायाम कोरोना से लड़ने में काफी मददगार है। कोरोना पॉजिटिव होने पर क्वारंटाइन रहा। इस दौरान हमारे पास समय ही समय था। आसन प्राणायाम पर विशेष ध्यान दिया। कुछ आसन जैसे सूर्य नमस्कार, प्राणायाम प्रत्येक दिन करने लगा। पानी का भाप, अमृत धारा का एक बूंद मिलाकर लेने लगा। इससे कुछ ही समय में फिर से पूरी तरह स्वास्थ्य हो गया। शुरूआत में 40 सेकंड ही सांस रोक सकता था। पानी का भाप और अमृत धारा का प्रयोग करने के बाद 90 सेंकड तक सांस रोकने लगा।
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अमृत धारा बनाने की विधि :
अमृत धारा बनाने के लिए अजमाइन, भीमसैनी कपूर, पीपरमेंट का बराबर-बराबर मिश्रण मिलाकर तैयार करें। कोरोना पॉजिटिव के मरीज अमृत धारा का एक बूंद और पानी का भाप का प्रयोग करें। यह कोरोना से जंग जीतने में काफी कारगर है।