आत्मनिर्भर भारत की भूमिका को साकार करने में विश्वविद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण : कुलपति

मुंगेर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की कुलपति और मुंगेर विश्वविद्यालय की प्रभारी कुलपति प्रो

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 08:13 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 08:13 PM (IST)
आत्मनिर्भर भारत की भूमिका को साकार करने में विश्वविद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण : कुलपति
आत्मनिर्भर भारत की भूमिका को साकार करने में विश्वविद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण : कुलपति

मुंगेर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की कुलपति और मुंगेर विश्वविद्यालय की प्रभारी कुलपति प्रो.(डॉ.) नीलिमा गुप्ता ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प आत्मनिर्भर भारत बनाने का है। आने वाले समय में हर भारतीय को आत्मनिर्भर बनाना उनका उद्देश्य है। इससे प्रेरित होकर ऐसा महसूस हुआ कि विश्वविद्यालयों को आगे बढ़कर आत्मनिर्भरता में पूरा योगदान देना चाहिए, क्योंकि इस संकल्प को पूरा करने में विश्वविद्यालयों की बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका है।

जारी वक्तव्य में कुलपति ने कहा है कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ाने का कार्य प्रारंभ किया गया है। इस समय हमारी प्राथमिकता यह है कि हम कैसे इस आत्मनिर्भर संकल्प का क्रियान्वयन करें। इस दृष्टि से न्यास ने देश के विख्यात शिक्षाविदों की समितियों का गठन विद्यालय एवं विश्वविद्यालय दोनों स्तरों पर किया है। आत्मनिर्भरता का उद्देश्य पूरा करने के लिए शिक्षा भी उसी के अनुरूप होनी चाहिए। शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने भी यही दिशा दिखाई है। शिक्षा नीति द्वारा प्रस्तावित कौशल शिक्षा (स्किल एडुकेशन) एवं व्यावसायिक शिक्षा युक्त पाठ्यक्रम का स्वरूप भी एक आत्मनिर्भर भारत की नींव रखता है।

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहले देश के छात्रों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने का आधारभूत माध्यम शिक्षा है। ऐसे में शिक्षण संस्थानों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।

कुलपति ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। ऐसे में देश के किसान एवं हमारा ग्रामीण अंचल आत्मनिर्भर बन सके, यह मूल आवश्यकता है। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए सभी स्तरों पर समेकित पहल करना जरूरी है।

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कुटीर उद्योगों की पुनस्र्थापना जरूरी

कुलपति ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए सबसे आवश्यक है कि कुटीर उद्योगों की पुनस्र्थापना की जाए। ऐसे कई उद्योग हैं जिनके विस्तार से न केवल बेरोजगारी की समस्या का निदान होगा वरन इसके निर्यात से हमें विदेशी मुद्रा भी प्राप्त हो सकेगी। इसमें विश्वविद्यालयों की बड़ी भूमिका सुनिश्चित की जा सकती है। विश्वविद्यालयों में कौशल विकास पाठ्यक्रम खोले जाएं तथा ऐसी स्वदेशी तकनीक की शिक्षा दी जाए, जिससे छात्र प्रेरित होकर अपना उद्योग स्वयं लगा सके।

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लोकल फॉर वोकल

वीसी ने कहा कि छात्रों के माध्यम से जन-जन को लोकल फॉर वोकल का संदेश दिया जाए। स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग से ही हम आत्मनिर्भर बन सकेंगे। अगर हम लोकल के लिए वोकल अर्थात स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार करेंगे तो एक दिन यह लोकल से ग्लोबल हो जाएगा। इसमें सबसे बड़ा योगदान आज की युवा पीढ़ी तथा छात्र-छात्राओं का होगा। यदि हमारी लोकल वस्तुएं ग्लोबल हो जाएंगी, तब हम स्वयं ही नहीं बल्कि पूरा देश आत्मनिर्भर हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि जब प्रधानमंत्री ने खादी वस्त्र खरीदने का आग्रह किया, तब खादी और हैंडलूम की बिक्री रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। अब इसे ग्लोबल बनाने का काम हमलोगों का है।

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स्टार्टअप

स्टार्टअप के माध्यम से सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम वर्गीय गृह उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए पहल करने की जरूरत है।

रक्षा संबंधी उपकरण

रक्षा संबंधी उपकरण की ओर छात्रों का ध्यान आकृष्ट कराने की आवश्यकता है। हमारे बजट का एक बड़ा हिस्सा इनपर व्यय होता है। अत: यदि हमने ऐसे कुछ अदभुत सुरक्षा उपकरण बना लिए तब हम आत्मनिर्भर तो होंगे ही साथ ही इसे निर्यात भी कर सकेंगे।

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शोध द्वारा गुणवत्ता वाले उत्पाद

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि नवीन शोध, अनुसंधान, मेहनत और लगन द्वारा ऐसे गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तैयार कराए जाएं, जिससे आयात के स्थान पर निर्यात का मार्ग प्रशस्त हो सके। मानव संसाधन द्वारा युवा पीढ़ी को ऐसी शिक्षा दें कि वह गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार कर सके और उसकी मांग अन्य देशों द्वारा की जा सके। जितने भी छोटे-छोटे निर्यातक देश हैं, उसने इस नीति को अपनाया कि अपने उत्पादों में अच्छी क्वालिटी रखें। जिससे विदेशों में उनकी मांग बढ़े। इसी नीति को भारत को भी अपनाना है तथा गुणवत्ता उत्पादों को बनाना है एवं उसका प्रसार भी करना है।

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हस्तशिल्प तथा आर्युवेदिक उत्पाद

विश्वविद्यालयों में हस्तशिल्प तथा आर्युवेदिक उत्पादों को बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाए तथा उनका प्रसार किया जाए। जिससे इसके मार्केटिग में वृद्धि हो।

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विश्वविद्यालयों द्वारा कृषि को प्रोत्साहित करना

कुलपति ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। यद्यपि यहां की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है, परंतु अधिकांश किसानों के पास कुछ बीघा जमीन ही है। अधिकांश किसान मौसम पर आधारित खेती करते हैं। छोटे किसानों के लिए ऐसी तकनीक को विकसित किया जाए, जिससे कम लागत में अधिक उत्पादन हो सके। किसान को उसके उपज का सही दाम मिल सकें। जब भारतीय किसान खुश होंगे तब देश स्वयं ही आत्मनिर्भर और स्वावलंबी होगा।

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स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा

भारत में स्वास्थ्य संबंधी सेक्टर हर साल 22 प्रतिशत से भी अधिक तेजी से बढ़ रहा है। इस अभियान के तहत प्रधानमंत्री के निर्देश पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के विशेषज्ञों ने छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों के तनाव को दूर करने के लिए पहले मनोवैज्ञानिक मनोदर्पण दिशा निर्देश बनाए हैं। कुलपति ने कहा कि कोरोना संकट ने हमें जागरूक किया है कि हमें स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि 'जान है तो जहान' है। कुलपति ने कहा कि सभी पाठ्यक्रमों में स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।

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