कोरोना संकट के बीच बढ़ी लकड़ियों की कीमत, शवों के अंतिम संस्कार में परेशानी
मुंगेर। कोरोना ने कहर बरपा रखा है। कोरोना के कारण जहां एक ओर मरीज दम तोड़ रहे
मुंगेर। कोरोना ने कहर बरपा रखा है। कोरोना के कारण जहां एक ओर मरीज दम तोड़ रहे हैं। वहीं, दूसरी बीमारी से ग्रस्त लोग भी चिकित्सीय सुविधा के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। इस कारण शमशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। आम की लकड़ियां कम पड़ने से अब घाटों पर जंगली लकड़ी मंगा कर काम चलाया जा रहा है। वहीं, लकड़ियों के दाम भी बढ़ गए हैं। हिदू धर्म में श्मशान घाटों पर आम की लकड़ी से शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन घाटों पर आम की लकड़ियां काफी कम संख्या में उपलब्ध है। जिस कारण जंगली लकड़ियां से लोगों को अपनों के शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। लकड़ियों के दाम भी बढ़ गए हैं। 500 से 600 रुपये प्रति क्वींटल की दर से मिलने वाली आम की लकड़ियां अब हजार से 12 सौ रुपये प्रति क्विटल की दर से बिक रहे हैं। वहीं, जंगली लकड़ी की कीमत में तेजी आई है। शवों का अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ी से किया जाना सबसे अच्छा माना जाता है। दरअसल चंदन की लकड़ी जुटा पाना काफी मुश्किल होता है, इसलिए आम की लकड़ी से भी शव का अंतिम संस्कार करना अच्छा माना जाता है, क्योंकि आम को अमृत फल कहा जाता है। आम की लकड़ी को शुद्ध माना जाता है।
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जिला में कोरोना के बढ़ते रफ्तार के कारण आम दिनों के मुकाबले लकड़ी की डिमांड अत्यधिक बढ़ गई है। पहले तीन से चार शवों के लिए लोग लकड़ी ले जाया करते थे, अभी 15 से 20 शवों के दाह संस्कार के लिए लकड़ी ले जा रहे हैं। विद्युत शवदाह गृह बंद रहने के कारण लकड़ियों की डिमांड बढ़ी है।
निर्धन यादव लाल दरवाजा लकड़ी व्यवसायी