ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में लक्ष्य से कोसों दूर है नगर परिषद जमालपुर

- आजादी के 70 वर्ष बीतने के बाद भी नागरिक सुविधा उपलब्ध कराने में जमालपुर नप है पीछे - अं

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 08:14 PM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 06:15 AM (IST)
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में लक्ष्य से कोसों दूर है नगर परिषद जमालपुर
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में लक्ष्य से कोसों दूर है नगर परिषद जमालपुर

- आजादी के 70 वर्ष बीतने के बाद भी नागरिक सुविधा उपलब्ध कराने में जमालपुर नप है पीछे

- अंग्रेज के शासनकाल में 1935 में नगर निकाय जमालपुर की हुई थी स्थापना

राज सिन्हा, जमालपुर

जमालपुर नगर निकाय राज्य की सबसे पुरानी नगर निकाय में से एक है। ब्रिटिश शासन काल के समय सन 1935 में जमालपुर नगर निकाय की स्थापना हुई। उस समय नगर विकास प्रबंधन की जिम्मेवारी रेलवे के जिम्मे थी। उस समय जमालपुर रेल कारखाना प्रबंधन द्वारा शहरवासियों को पेयजल आपूर्ति के लिए लगाए गए पाइप आज भी कई जगहों पर अवस्थित है। उस समय नगर पालिका के स्पेशल ऑफिसर की जिम्मेवारी भी मुख्य कारखाना प्रबंधक ही निभाते थे। देश आजाद हुआ, उसके बाद भी वर्षों पुरानी व्यवस्था चालू रही। बाद में नगर परिषद का स्वतंत्र अस्तित्व कायम हुआ। लेकिन, व्यवस्था के मामले में नगर परिषद जमालपुर की स्थिति दिनोंदिन दयनीय होती गई। प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को लेकर नप प्रशासन द्वारा जागरुकता अभियान के नाम पर महजा खानापूरी की जा रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि आज भी प्रतिदिन कूड़ा उठाव के दावों के बीच चौक चौराहे पर गंदगी का अंबार दिख जाता है। खासकर सब्जी विक्रेताओं द्वारा सड़ी गली सब्जियों को सड़क के किनारे ही फेंक दिया जाता है। इस पर नियंत्रण में नगर परिषद पूरी तरह से विफल है।

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यह है नगर परिषद जमालपुर का स्वरूप

नगर परिषद क्षेत्र की कुल आबादी लगभग एक लाख पंद्रह हजार है। नगर परिषद में 36 वार्ड आते हैं। चार वार्ड रेलवे क्षेत्र के अधीन है। -------------------------------

धरातल पर नहीं उतर पाया है कचरा प्रबंधन

कचरा प्रबंधन की योजना अब भी जमालपुर में धरातल पर नहीं उतर पाई है। कूड़ा डंपिग यार्ड के लिए नगर परिषद ने आशिकपुर में जमीन चिह्नित किया है। वहीं, प्रोसेसिग यूनिट के लिए बलीपुर कबीर पंथी कब्रिस्तान का चयन भी किया गया था। जहां कचरा के बेहतर निष्पादन के लिए प्रोसेसिग यूनिट खोले जाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए कूड़ा निष्पादन पिट्स का निर्माण किया जाना था। लेकिन, अभी तक कार्य आरंभ नहीं हो सका। वर्तमान में नगर परिषद में अस्थायी 120 सफाई कर्मी हैं। जबकि, स्थाई सफाई कर्मियों की संख्या 50 है। सफाई कर्मियों के वेतन और मानदेय मद में नगर परिषद 9.5 लाख रुपये प्रति माह भुगतान करता है।

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कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सूर्यानंद सिंह ने बताया कि शहरवासियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नगर परिषद कार्य कर रहा है। प्रोसेसिग यूनिट के जमीन का मामला न्यायालय में लंबित है। इस कारण निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। अगर मामला न्यायालय में नहीं गया होता, तो अब तक प्रोसेसिग यूनिट का काम पूर्ण कर लिया जाता।। लोगों को यत्र तत्र कूड़ा नहीं फेंकने के लिए भी जागरूक करने का कार्य नगर परिषद प्रशासन द्वारा कराया जाता है।

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