जिले में दम तोड़ रहीं मत्स्य विभाग की योजनाएं, लक्ष्य से कोसों दूर

-20 महीने के लंबी छुट्टी पर है डीएफओ -लक्षय 150 ¨क्वटल उत्पादन महज 50 ¨क्वटल सुनील कुमार

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 08:55 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 08:55 PM (IST)
जिले में दम तोड़ रहीं मत्स्य विभाग की योजनाएं, लक्ष्य से कोसों दूर
जिले में दम तोड़ रहीं मत्स्य विभाग की योजनाएं, लक्ष्य से कोसों दूर

-20 महीने के लंबी छुट्टी पर है डीएफओ

-लक्षय 150 ¨क्वटल उत्पादन महज 50 ¨क्वटल

सुनील कुमार गुप्ता, मुंगेर : जिले में सरकार द्वारा चलाई जा रही मत्स्य योजनाएं दम तोड़ रही है। जिले के लिए सरकार द्वारा मत्स्य विभाग की योजनाएं के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था, वह अब भी कोसों दूर है। वर्तमान में बिना मत्स्य पदाधिकारी के ही विभाग चल रहा है। नवस्थापित डीएफओ पूनम कुमारी योगदान के साथ ही 20 महीने की लम्बी छुट्टी पर चली गयी है। इससे मत्स्य विभाग की योजनाओं का लाभ उठाने तथा रोजगार पाने के लिए उम्मीद लगाये लोगों को काफी निराशा हाथ लगी है। कार्यालय के सभी कार्य कछुआ गति से चल रहा है।

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मत्स्य विभाग की योजनाओं का लक्ष्य है कोसों दूर

मत्स्य विभाग की सुस्त कार्य प्रणाली व पारदर्शिता में कमी के कारण मछली पालन में जिला काफी पीछे है। योजनाओं पर अमल नहीं होने के कारण युवाओं सहित मछली पालन की इच्छा रखने वाले लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। इससे जिलावासियों को काफी परेशानी हो रही है। जिले में 150 ¨क्वटल मछली का प्रतिदिन खपत है। पर महज 50 ¨क्वटल ही मछली का उत्पादन होता है। विभाग की योजनाओं पर ईमानदारी से कार्य किया जाये तो उत्पादन बढ़ सकता है। युवाओं को भी रोजगार मिल सकता है। इतना ही नहीं जिले से बाहर जानेवाले राजस्व की भी बचत होगी। वर्तमान में भोजपुर में बंगाल, आंध्र प्रदेश व तामिलनाडु से मछली की आपूर्ति की जाती है।

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मछली पालन के रोजगार के लिए तरसते रहे लोग

सरकार ने मत्स्य विभाग के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। जिसमें मुख्यमंत्री मत्स्य विभाग परियोजना, नीली क्रांति योजना तथा अनुसूचित जाति/जनजाति योजना शामिल है। मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के तहत रिय¨रग तालाब निर्माण योजना, ट्यूबवेल अधिष्ठापन योजना तथा पंपसेट अधिष्ठापन योजना का क्रियान्वयन होना है. अनुसूचित जाति /जनजाति योजना के तहत नर्सरी तालाब निर्माण योजना शामिल है। वहीं नीली क्रांति योजना के तहत आ‌र्द्र भूमि में तालाब निर्माण योजना शामिल है. मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के तहत रिय¨रग तालाब निर्माण नीली क्रांति योजना के तहत तालाब निर्माण, अनुसूचित जाति, जनजाति योजना के तहत तालाब निर्माण का लक्ष्य अधूरा पड़ा है। अधिकारी के छुट्टी पर रहने के कारण सभी लक्ष्य ठंडे बस्ते में रखा हुआ है।

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उचित देखभाल के कारण तालाब में नहीं आता है पानी

जिले के 9 प्रखंड में मत्स्य विभाग के 204 जलकर से मत्स्य विभाग को 15 लाख सालाना राजस्व की प्राप्ति होती है। उचित रख रखाव के कारण तलाब भी सुख रहे है। बरसता के पानी पर तालाब में मछली है। मत्स्य कार्यालय के समीप ही बड़ा तालाब भी सूख गया है इसमें भी कई वर्षों से मछली पालन नहीं हो रहा है। हवेली खड़कपुर में 58 असरगंज में 35 तारापुर में 33 सदर मुंगेर में 28, संग्रामपुर में18, जमालपुर में 16, टेटियाबम्बर 10, बरियारपुर में 9, धरहरा में 8 जलकर हैं। सभी खस्ता हाल है। मत्स्य मत्स्यजीवी सहयोग समिति के प्रखंड अध्यक्ष छोटन साहनी ने कहा कि लगभग 80 फ़ीसदी ताल तलैया सूख चुके हैं। जिला मत्स्य पदाधिकारी के नहीं रहने से कोई काम नहीं हो पा रहा है।

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