जयंती पर याद किए गए कूची के पुरोधा नंदलाल बसु

मुंगेर। देश के तीन सपूतों की जयंती गुरुवार को मनाई गई। हवेली खड़गपुर में कूची के पुरो

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 12:39 AM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 12:39 AM (IST)
जयंती पर याद किए गए कूची के पुरोधा नंदलाल बसु
जयंती पर याद किए गए कूची के पुरोधा नंदलाल बसु

मुंगेर। देश के तीन सपूतों की जयंती गुरुवार को मनाई गई। हवेली खड़गपुर में कूची के पुरोधा आचार्य नंदलाल बसु, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और देशभक्त खुदीराम बोस की जयंती धूमधाम से मनाई गई । नगर के आचार्य नंदलाल बसु चौक स्थित उनकी प्रतिमा स्थल पर उनकी 138वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई। अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. रामचरित्र प्रसाद सिंह और प्रो. उमेश कुंवर उग्र ने की। संचालन शारदा सुमन ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसडीपीओ संजय पांडे थे। कार्यक्रम की शुरुआत कला गुरु आचार्य नंदलाल बसु की आदमकद प्रतिमा पर विभिन्न विद्यालय व संस्था के छात्र-छात्रा और शिक्षकों के साथ प्रबुद्ध नागरिकों ने पुष्पांजलि और माल्यार्पण कर किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एसडीपीओ संजय पांडे ने आचार्य बसु के जीवनवृत्त पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि खड़गपुर की धरती कला और संस्कृति से भरी-पूरी है। इस धरती पर आचार्य नंदलाल बसु जैसे महान विभूति ने जन्म लिया । इनकी कलाकृति की ख्याति आज देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य रामचरित्र प्रसाद सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान के पृष्ठ की कुल 22 भाग में कलागुरु द्वारा उकेरी गई रेखाएं एवं चित्र अछ्वुत एवं अविस्मरणीय है। शिक्षाविद प्रो. उमेश कुंवर उग्र ने कहा कि आचार्य बसु ने खड़गपुर की गौरव गरिमा को अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर स्थापित किया, लेकिन दुर्भाग्य है कि तीन दिसंबर वर्ष 2003 में एचएस कॉलेज में आचार्य नंदलाल बसु कला शोध संस्थान की आधारशिला भागलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. रामाश्रय यादव द्वारा रखी गई थी। सीनेट से संस्थान निर्माण को स्वीकृति भी मिली, लेकिन इतने वर्षों बाद भी इस शोध संस्थान में एक ईंट भी नहीं जोड़ा जा सका है। कार्यक्रम के दौरान देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और देशभक्त खुदीराम बोस को भी प्रबुद्धजनों ने नमन किया। इस अवसर पर कार्यपालक पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार सिह, सत्येंद्र कुमार सिंह, चर्चिल सर, रविन्द्र सिंह, स्वराज चंद्र साहा, प्रदीप पाल, राकेश चंद्र सिन्हा, सुरेंद्र मोहन शर्मा, निर्मल परमार, स्मृति सिन्हा, संजीव कुमार, चर्चिल सिंह, अशोक झा, केशव सिंह, शशि राय आदि मौजूद थे।

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