डायरिया का कहर, अस्पताल हाउसफुल, बाहर से ला रहे दवा
मुंगेर । जिले में वायरल बुखार का केस कम होने के बाद डायरिया का कहर दिखने लगा है। दो दि
मुंगेर । जिले में वायरल बुखार का केस कम होने के बाद डायरिया का कहर दिखने लगा है। दो दिनों घंटे में 30 से ज्यादा मरीज अस्पताल पहुंच चुके हैं। दो दिन पहले एक मरीज की मौत भी हो गई है। आइसोलेशन वार्ड फुल हो गया है। इमरजेंसी से लेकर महिला वार्ड तक में इनका इलाज चल रहा है। अस्पताल में जगह कम होने के कारण दूसरे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई दवाएं नहीं होने से मरीजों के स्वजन बाहर से इन्हें खरीदकर ला रहे हैं। सिविल सर्जन डा. हरेंद्र कुमार आलोक ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण डायरिया मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। बेड कम होने के कारण गलियारे में मरीजों के इलाज की व्यवस्था की जा रही है। सोमवार की सुबह होते ही अस्पताल में मरीजों की भीड़ लग रही है। निबंधन काउंटर पर मरीजों की भीड़ देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। डायरिया भी अब लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। महिला व पुरुष वार्ड में मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं हो रहा है। कई मरीज कक्ष के आगे डाक्टर का इंतजार करते दिखे। दरसअल, तीन सप्ताह पहले से जिस तरह से वायरल फीवर ने लोगों को चपेट में लिया है, उससे सदर अस्पताल का वार्ड भर गया है। सुबह होते ही अस्पताल में मरीजों की लंबी लाइन लग रही है। निबंधन काउंटर से लेकर डाक्टरों के कक्ष तक में मरीजों की भीड़ लगी रहती है। डायरिया का प्रकोप बढऩे से अस्पताल में मरीजों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है।
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अस्पताल में जरूरी दवाइयों की कमी
मरीजों की संख्या बढऩे के साथ ही सदर अस्पताल में दवाओं का टोटा हो गया है। मरीजों को इंजेक्शन, जाइलोकेन जेली, ओएंटमेंट सिलवरी, सिरींज, एमोक्सीसिलिन इंजेक्शन, एट्रोपाइन सेफीजाइम, डाइक्लोमाइन, ओफलोक्सासीन, बीटामीन बी सहित 77 प्रकार की दवा ओपीडी में मौजुद नही है। स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि मरीजों की संख्या बढ़ रही है, इसके चलते दवाओं की कमी हो रही है। वही इमरजेंसी वार्ड में 37 प्राकर की दवा में 32 प्राकार की दवा ही है।
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बिचौलियों की सक्रियता बढ़ी
सदर अस्पताल में बिचौलिये बेखौफ होकर इधर-उधर घूमते नजर आ रहे हैं। ओपीडी से लेकर प्रसव कक्ष तक बिचौलिये की नजर है। किसी ग्रामीण मरीजों पर नजर पड़ती है, उस व्यक्ति के पास पहुंच कर हाथ से इलाज की पर्ची ले लेते हैं। इसके बाद मरीज का मददगार बन उन्हें अपनी बातों में फंसा कर अस्पताल गेट के बाहर ले जाते हैं। किसी निजी एक्सरे, पैथोलाजी से लेकर सदर अस्पताल तक पहुंचा देते हैं। रात के समय प्रसव कक्ष अथवा इमरजेंसी वार्ड के बाहर घूमते बिचौलिये परेशान मरीजों के ताक में रहते हैं।