जल संकट से नहीं मिल रही निजात, नगर परिषद बेपरवाह

गर्मी के दिनों में जल संकट की समस्या प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। शहरी क्षेत्र में जल संकट विकराल बन चुका है। जल संकट से बचने के लिए लोग सार्वजनिक स्थलों पर गाड़े गए सरकारी चापाकलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Jun 2019 12:19 AM (IST) Updated:Thu, 13 Jun 2019 12:19 AM (IST)
जल संकट से नहीं मिल रही निजात, नगर परिषद बेपरवाह
जल संकट से नहीं मिल रही निजात, नगर परिषद बेपरवाह

मधुबनी । गर्मी के दिनों में जल संकट की समस्या प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। शहरी क्षेत्र में जल संकट विकराल बन चुका है। जल संकट से बचने के लिए लोग सार्वजनिक स्थलों पर गाड़े गए सरकारी चापाकलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। सरकारी चापाकलों का पानी पीने लायक नही होने के बाद भी लोगों इसका सेवन कर रहे है। वहीं बड़ी संख्या में शहर के सरकारी चापाकलों को खराब रहने से परेशानी हो रही है। शहरी क्षेत्र में करीब एक सौ से अधिक चापाकल खराब शहर में घरों तक जलापूर्ति योजना तीन दशक से ठप है। पिछले कई वर्षों से गर्मी के दिनों में पानी पाताल की ओर जाने से चापाकल से लगे मोटर के सहारे भी जलापूर्ति मुश्किल हो है। शहरी क्षेत्र में करीब एक सौ से अधिक चापाकल बंद पड़े हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को प्रतिदिन बढ़े पैमाने पर जल की खरीदारी मुश्किल हो रहा है। शहर में सात निश्चय के तहत हर घर नल जल का लाभ लोगों को नही मिल रहा है। इस योजना के तहत शहर के विभिन्न वार्ड में पाईप बिछाने का कार्य शुरू किया गया। लेकिन नगर परिषद प्रशासन की उदासीनता के कारण अबतक किसी भी वार्ड में इस योजना का लाभ लोगों को नसीब नही हो सका है। शहर के विभिन्न वार्डो में हर घर नल जल योजना पर कार्य ठप पड़ा है। जबकि कई वार्ड में अबतक कार्य भी शुरू नही हो सका है। बहरहाल इस गर्मी में हर घर नल जल की आपूर्ति संभव नही लगता है। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष आनंद चौधरी ने बताया कि शहर में जल संकट को देखते हुए शहर के विभिन्न वार्डों में वाहन के द्वारा जल मुहैया कराया जा रही है। बड़ी संख्या में अतिक्रमण का शिकार कुआं प्राचीन व्यवस्था में जल स्त्रोत के रूप में कुआं की बड़ी महत्ता हुआ करती थी। उस समय चापाकल का प्रचलन भी नहीं हुआ करता था। पेयजल सहित अन्य कार्यों के लिए भी कुआं ही मुख्य सहारा होता था। समय के साथ कुआं को भूलने से जल संकट को बढ़ावा मिलने लगा। वहीं जल संरक्षण की उम्मीद कम होती चली गई। शहर में नगर परिषद की कदम-कदम पर बड़ी संख्या में कुआं अतिक्रमण का शिकार होकर रह गया है। कुआं के अतिक्रमण के कारण वर्षा जल का संरक्षण भी नही हो रहा है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी