बाढ़ का पानी तो थम गया, लेकिन परेशानी में बाढ़ पीड़ित
मधुबनी। बेनीपट्टी प्रखंड के पश्चिम क्षेत्र में बाढ़ की विनाशलीला के कारण बाढ़ से घिरे तीन दर्जन गांवों के लोगों के परेशानी और बढ़ गई है।
मधुबनी। बेनीपट्टी प्रखंड के पश्चिम क्षेत्र में बाढ़ की विनाशलीला के कारण बाढ़ से घिरे तीन दर्जन गांवों के लोगों के परेशानी और बढ़ गई है। बाढ़ के पानी थम गया है लेकिन बाढ़ पीड़ितों के समस्याओं जस की तस है। बाढ़ से घिरे गांव के लोग जल तांडव की चपेट में आकर तबाही व बर्बादी की मंजर देख परेशान हैं। बेनीपट्टी के समदा- सोहरौल सड़क पर अब भी बाढ़ के पानी बह रहा है तथा सड़क जगह-जगह टूटकर खंड-खंड में बंट गई है। सोईली चौक से गुलरिया टोल करहारा जाने वाली सड़क एवं बलिया से खसियाघाट जाने वाली सड़क, विशनपुर से माधोपुर जाने वाली सड़क, विशनपुर से बानगंगा बररी तक जाने वाली सड़क, अंधरी से परसौनी जाने वाली सड़क, बतौना से सोहरौल जाने वाली सड़क पर जगह-जगह बाढ़ के पानी बहने से आवागमन ठप हो गया है। बाढ़ के पानी ने दो दर्जन से अधिक जगहों पर सड़क को तोड़ क्षतिग्रस्त कर दिया है। बररी पंचायत के सड़क सम्पर्क भंग हो गया है।
अधवरा समूह के धौंस, खिरोई, थुम्हानी, कोकरा नदी के उफान के कारण बाढ़ के पानी बढ़ने व घटने के बीच तीन दर्जन गांव के लोग परेशानी की सबब झेलने को विवश हैं। बाढ़ से तीन सप्ताह से घिरे गांव के लोगों अब बेदम हो गए हैं। बेनीपट्टी से साहरघाट जाने वाली सड़क में मलहामोड़ उच्चैठ के निकट डायवर्सन पर बाढ़ का पानी बह रहा है। जहां आवागमन ठप है। शिवनगर फुलवरिया पथ के माधोपुर गांव के निकट डायवर्सन पर चार फीट बाढ़ का पानी बह रहा है। हर तरफ तबाही व बर्बादी का आलम है।
प्रखंड के बररी, फुलवरिया, सिड़वारा, बाजीतपुर, रजघट्टा, नवगाछी, धनुषी, रजवा, विशनपुर, भगवतीपुर, छुलकाढ़ा, बगवासा, विशे लडूगामा, हथियरवा, सदहिया, सिमरकोण, खसियाघाट, करहारा, बिर्दीपुर, गुलरिया टोल, समदा, सोहरौल, उच्चैठ, डिहुलीशेर, अंधरी, जगत बेहटा, पाली, बतौना, उड़ेन, गंगुली, बलिया, सलहा सहित तीन दर्जन गांव बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है। करहारा, हथियरवा, खसियाघाट, फुलवरिया, सोहरौल, बिर्दीपुर, गुलरिया टोल गांव के लोग टापू में तब्दील होकर नाव के सहारे ही जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बाढ़ ने लाचार व विवश बना दिया है। बाढ़ से विस्थापित लोगों के हालत नारकीय बनी हुई है। सरकार व प्रशासन के बाढ़ पूर्व तैयारी की हवा निकल रही है। बाढ़ से घिरे गांव के लोगों दर्द से कराह रहे हैं लेकिन उनके दुख व दर्द को बांटने के दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है।