बारिश से लौकही प्रखंड के गांवों की सूरत बिगड़ी

लौकही में मानसूनी बारिश ने गांवों को बदसूरत कर दिया है। विकास के नाम पर गांव में सड़कें तो बनी लेकिन जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग अब जलजमाव की परेशानी से जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 11:53 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:53 PM (IST)
बारिश से लौकही प्रखंड के गांवों की सूरत बिगड़ी
बारिश से लौकही प्रखंड के गांवों की सूरत बिगड़ी

मधुबनी । लौकही में मानसूनी बारिश ने गांवों को बदसूरत कर दिया है। विकास के नाम पर गांव में सड़कें तो बनी, लेकिन जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग अब जलजमाव की परेशानी से जूझ रहे हैं। लोगों को सड़क पर जमे पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है। लौकही प्रखंड के कोशी के गर्भ में बसे नरेंद्रपुर और महादेवमठ के लोगों के लिए बारिश का मौसम विलेन बन गया है। नरेंद्रपुर से सुपौल जिला की सीमा तक सड़क नहीं बनने से नरेंद्रपुर, रौआही, मैनही गांव के लोगों को आवागमन में भारी असुविधा हो रही है। स्वतंत्रता के सात दशक बीत जाने के बाद भी यहां के लोगों को आवागमन की सुविधा नसीब नहीं हो सकी है। लोगों को सड़क का आश्वासन वर्षों से मिलता रहा है, लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हो सका। लोगों मे इसको लेकर आक्रोश है। बता दें कि नरेंद्रपुर चौक से सीमावर्ती सुपौल जिला के दुधैला मैनपट्टी तक की सड़क का आश्वासन पूर्व एवं वर्तमान विधायक देते रहे, लेकिन आज तक वह सड़क नहीं बन सकी। मैनही के बोकर चौरी के पास ही कोसी नदी का रिटायर बांध है। जुलाई 2020 में इसे कुछ असामाजिक तत्वों ने काट दिया। फलस्वरूप करीब एक सौ एकड़ जमीन में जलजमाव है। इस जमीन पर किसान फसल नहीं उगा पा रहे। बोकर चौरी में सालों भर पानी जमा रहता है। रौआही नरेंद्रपुर महादेव मठ के विश्वंभर प्रसाद, बैद्यनाथ साह, राजेंद्र प्रसाद मंडल, गोरख लाल, राजेंद्र यादव, वीरेंद्र यादव, लक्ष्मी ठाकुर, भगवानी ईसर, बाला कांत झा, सरवन झा आदि लोगों ने बताया कि हमें देखने वाला कोई नहीं है। आजादी के सात दशक बाद भी हमारी सुधि नहीं ली गई। आज भी हम बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। गांव का विकास आवागमन पर निर्भर है। आवागमन की सुविधा आज तक हमें नसीब नहीं हुई। इस वर्षा के मौसम में हर गांव मे लोग आवागमन की असुविधा से जूझ रहे हैं। यही हाल झिटकी अमचीरी डंगरहा सहित अन्य गांवों का भी है। प्रखंड के अधिकांश गांवों व बाजार में जलनिकासी की समुचित व्यवस्था आज तक नहीं हो पाई है।

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