नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी पर कार्रवाई की तलवार

मधुबनी। दशकों बाद नगर परिषद के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब किसी मुख्य पार्षद ने कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ सीधी लड़ाई लड़ी हो।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 12:47 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 12:47 AM (IST)
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी पर कार्रवाई की तलवार
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी पर कार्रवाई की तलवार

मधुबनी। दशकों बाद नगर परिषद के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब किसी मुख्य पार्षद ने कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ सीधी लड़ाई लड़ी हो। यह बात अलग है कि इस लड़ाई में बलि का बकरा कौन-कौन बनता है, यह तो समय बताएगा। मगर, इतना तो तय है कि मुख्य पार्षद और कार्यपालक पदाधिकारी के बीच विभिन्न मसलों पर करीब डेढ़ वर्षो से चल रहे विवाद का अंत होने का समय करीब आ गया है। इसके साथ ही कार्यपालक पदाधिकारी पर तबादला की तलवार लटक गई है। वहीं, प्रधान सहायक पर कड़ी कार्रवाई तय लग रहा हैं। हालांकि, नगर परिषद की मुख्य पार्षद सुनैना देवी द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष आनंद चौधरी के खिलाफ आरोपों की डीडीसी अजय कुमार सिंह द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट अभी आना बाकी है। डीडीसी द्वारा जांच रिपोर्ट शीघ्र ही डीएम को सौंपी जाएगी। जिसे डीएम द्वारा कार्रवाई की अनुशंसा के साथ नगर विकास एवं आवास विभाग को भेजा जाएगा।

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प्रधान सहायक पर गंभीर आरोप :

नगर परिषद के प्रधान सहायक शंकर कुमार झा पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। इस दिशा में नगर परिषद बोर्ड और सशक्त स्थाई समिति की बैठक में प्रधान सहायक के निलंबन का प्रस्ताव पूर्व में ही पारित किया जा चुका है। प्रधान सहायक पर अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हुए नगर परिषद कार्यालय से निर्गत होने वाले जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यपालक पदाधिकारी की बजाय हस्ताक्षर कर निर्गत करने, कुछ कर्मियों के प्रोन्नति जैसे आदेश निर्गत करने सहित अन्य कई गंभीर आरोप हैं।

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कनीय अभियंता केके झा को अग्रिम मामले में कार्रवाई तय :

नगर परिषद की बजाय अन्य विभाग से अवकाश ग्रहण करने के बाद कनीय अभियंता केके झा को नगर परिषद बोर्ड या सशक्त स्थाई समिति के बगैर सहमति कई योजना मद में अग्रिम राशि जैसे मामलों में कार्यपालक पदाधिकारी पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।

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लूट-खसोट का गवाह रैन बसेरा :

नगर परिषद के कार्यालय से सटे रैन बसेरा उद्धाटन का मामला करीब छह माह से विवादों में अटका है। इसके निर्माण और इसमें रहने वालों के लिए बेड, चादर सहित अन्य सामान की खरीदारी में लूट-खसोट मामला को भी दबाकर रखने की साजिश का खुलासा होना अभी बाकी है। लगातार मांग के बाद भी निर्माण कार्य में अनियमितता पर कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस मामला को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में रखा गया था।

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कुछ पार्षदों के बहकावे का शिकार कार्यपालक पदाधिकारी :

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के तौर पर पहले पदस्थापन में ही आशुतोष आनंद चौधरी यहां कुछ पार्षदों के दांव-पेंच का शिकार हो गए। बगैर प्रशिक्षण प्राप्त कार्यपालक पदाधिकारी पदस्थापन के बाद से ही पार्षदों के एक खेमा के बहकावे में आकर नियम-कानून के उल्लंघन में फंसते चले गए। इन्हें कार्यालय संचालन का अनुभव नहीं होने का फायदा नगर परिषद के एक-दो वरीय लिपिक भी उठाने की कोशिश की। अब इनपर कार्रवाई की तलवार लटकता देख इनके आगे-पीछे रहने वाले पार्षद भी इनसे अपना पल्ला झाड़ने लगे हैं। कुछ पार्षदों के बहकावे में आना कार्यपालक पदाधिकारी के लिए आफत बन गया।

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