आसमान से बरसने वाले जल रूपी अमृत की संचय को बढ़ाएं कदम

जल ही जीवन है मगर जल ही नहीं रहेगा तो जीवन कैसे बचेगा। हरेक प्राणियों के लिए जल बड़ी अहमियत रही है। जल के लिए तालाबों का होना आवश्यक होता हैं। तालाबों में वर्षा जल संरक्षण से भू-जल का स्तर बेहतर होने से गर्मी के दिनों में जल संकट से निजात मिलता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jul 2019 01:18 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jul 2019 06:29 AM (IST)
आसमान से बरसने वाले जल रूपी अमृत की संचय को बढ़ाएं कदम
आसमान से बरसने वाले जल रूपी अमृत की संचय को बढ़ाएं कदम

मधुबनी । जल ही जीवन है मगर जल ही नहीं रहेगा तो जीवन कैसे बचेगा। हरेक प्राणियों के लिए जल बड़ी अहमियत रही है। जल के लिए तालाबों का होना आवश्यक होता हैं। तालाबों में वर्षा जल संरक्षण से भू-जल का स्तर बेहतर होने से गर्मी के दिनों में जल संकट से निजात मिलता है। चापाकल पानी देना नही छोड़ता है। जल संकट से बचने के लिए वर्षा जल संरक्षण के उपायों पर अमल करना होगा। इस दिशा में पिछले कई वर्षो से दैनिक जागरण द्वारा लगातार जल संरक्षण को लेकर चलाए गए जागरूकता अभियान से प्रभावित स्थानीय लोगों द्वारा जिले के कई हिस्सों में दो दर्जन से अधिक तालाबों के जीर्णोंद्धार का संकल्प लिया था। अभियान लोगों को तालाबों के प्रति जागरुक कर दिया। अनेक तालाबों के सौंदर्यीकरण का रास्ता आसान हो गया। इस कड़ी में इस वर्ष एक बार फिर से दैनिक जागरण द्वारा जल संरक्षण के प्रति अपनी अहम भूमिका के तहत 'सहेज लो हर बूंद..' नामक अभियान की शुरूआत की गई है। यह अभियान क्षेत्रीय स्तर पर परंपरागत जल स्रोतों को जीवित करने के संकल्प को बल प्रदान करेगा।

फिर अपनी पहचान कायम करने की ओर आगे बढ़ रहा तिलक चौक तालाब दैनिक जागरण द्वारा लगातार जल संरक्षण को लेकर चलाए गए जागरूकता अभियान से प्रभावित शहर का तिलक चौक तालाब एक बार फिर अपनी पहचान कायम करने की ओर आगे बढ़ रहा है। करीब एक वर्ष पूर्व तक गंदगी व जलकुंभी से अटा-पटा इस तालाब का जीर्णोद्धार कार्य शुरू होने से तालाब में वर्षा जल संचय के साथ मछली उत्पादन संभव होगा। शहरवासियों को अपने पवित्र जल से शीतलता प्रदान करने वाले इस तालाब में एक वर्ष पूर्व तक वर्षा जल का संरक्षण नही हो पा रहा हैं। करीब एक दशक से इस तालाब में जल नही होने से लोगों को स्नान का लाभ नही मिल पा रहा हैं। स्थानी लोगों के सहयोग से इस तालाब के जीर्णोंद्धार पर अबतक लाखों रुपए का व्यय किया जा चुका है। जीर्णोंद्धार के दौरान लोगों द्वारा तालाब के कुछ हिस्सों पर अतिक्रमण को लेकर शासन-प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया गया था। तालाब के जीर्णोद्धार में प्रशासन का सहयोग जरूरी माना जा रहा है। ताकि जीर्णोद्धार कार्य से जुड़े लोगों का मनोबल बना रहे। इस तालाब के जीर्णोद्धार से लोगों को जल के साथ स्वच्छ वातावरण नसीब होगा। एक कुआं को जीवित होने से 250 से अधिक लोगों को नियमित मुहैया हो सकता जल

वर्षा जल के संचय से भूमिगत जल की बचत होती है। जमीन पर गिरे बगैर वर्षा जल का पेयजल के रुप में प्रयोग किया जा सकता है। वर्षा के समय छत से लगे पाईप के सहारे संचित जल का कई दिनों तक घरों की साफ-सफाई सहित अन्य कार्यो में उपयोग करते है। स्नान के दौरान बर्बाद हाने वाले जल को शौचालय में प्रयोग करना चाहिए। जल संरक्षण के दिशा में कुआं का जीर्णोद्धार के साथ उसकी नियमित रूप से देखभाल पर अमल किया जाए तो निश्चित रूप से गर्मी के दिनों में जल संकट की समस्या पर हद तक काबू पाया जा सकता है। वर्षा जल संचय हेतु पारंपरिक जल स्त्रोत कुआं को जीवित करना अति आवश्यक हो गया है। एक कुआं को जीवित करने पर 50 से अधिक परिवारों के 250 से अधिक लोगों को नियमित रूप से जल मुहैया कराया जा सकता है। वहीं वर्षा जल संचय किया जा सकता है। जल स्त्रोतों को जीवित करने के सार्थक प्रयास से दूर होगी जल संकट : विधायक

मधुबनी विधायक समीर कुमार महासेठ ने बताया कि जल संरक्षण के दिशा में परम्परागत जल स्रोतों को जीवित करने के सार्थक प्रयास से ही भविष्य में बेहतर परिणाम की उम्मीद किया जा सकता है। तालाबों की गहराई बढ़ाकर वर्षा जल को बचाने के संकल्प को साकार करना होगा। इससे बाढ़ की तबाही से भी बचा जा सकता है। वर्षा से प्राप्त होने वाले जल के संचय से भूगर्भ के जल की बचत होगी। श्री महासेठ ने जल संरक्षण के दिशा में प्रतिवर्ष दैनिक जागरण की सकारात्मक प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि शहर के तिलक चौक तालाब के भिडा निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया है। करीब 15 लाख की लागत से भिडा निर्माण से लोगों को बड़ी राहत होगी। इसके अलावा शहर के सूड़ी स्कूल तालाब, नगर परिषद तालाब, गंगासागर तालाब के जीर्णोद्धार के लिए पिछले वर्ष सरकार को लिखा जा चुका है। इन तालाबों के सौंदर्यीकरण कार्य में तालाब के चहुंओर लोगों को बैठने के लिए बेंच का निर्माण के अलावा स्टीट लाइट की व्यवस्था के साथ पौधरोपण कार्य को शामिल करने का प्रस्ताव है। उनके द्वारा शहर के दो तालाब को गोद लेने की प्रशासनिक प्रक्रिया चल रही है। सूर्योपासना का लोक पर्व छठ के अलावा अन्य अनुष्ठानों के लिए तालाब की अहमियत रही है। जल की बूंद-बूंद को संरक्षण की दिशा में आगे गिरीन्द्र

जल की बूंद-बूंद को सिचाई का माध्यम बनाकर जल संरक्षण के दिशा में आगे बढ़ रहा गिरीन्द्र चौधरी। बचपन से ही जल की बचत की मंशा पाले गिरीन्द्र अपने घर के चापाकल से प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी की बर्बादी को रोकने के उपाय को लेकर मंथन किया करते थे। जिले के राजनगर प्रखंड के कोईलख गांव निवासी गिरीन्द्र ने करीब पांच वर्ष पूर्व अपने घर में लगे चापाकल से बर्बाद हो रहे पानी के सदुपयोग के लिए उपाय निकालते हुए चापाकल से निकलने वाले पानी का रास्ता घर के परिसर में तैयार गार्डन के अलावा हरी सब्जियों के फसलों की ओर खोल दिया। चापाकल से गार्डन, सब्जियों के फसलों की सिचाई कर जल की बर्बादी रोकने में आगे रहने वाले गिरीन्द्र जल की महत्ता पर बताते है कि आवासीय परिसर के गार्डन, सब्जियों के फसलों की सिचाई के लिए चापाकल से बर्बाद होने वाला पानी ही काफी हो रहा है। वर्षा जल के संचय के लिए जागरण के अभियान के तहत गांव के तालाबों के जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया जाएगा। वर्षा जल की बूंद-बूंद की संरक्षण के लिए लोगों को भी आगे आना चाहिए।

chat bot
आपका साथी