मधुबनी में मुख्य व उपमुख्य पार्षद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर फंसा पेच

उत्क्रमित नगर निगम की मुख्य पार्षद सुनैना देवी और उप मुख्य पार्षद वारिस अंसारी के खिलाफ तीसरी बार अविश्वास व्यक्त करते हुए वार्ड पार्षदों की ओर से दिए गए आवेदन पर पेच फंस गया है। जानकारों की मानें तो अविश्वास प्रस्ताव पर कानून का ब्रेक लग गया है। फिलहाल नगर निगम प्रावधान के अनुसार मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 11:10 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:10 PM (IST)
मधुबनी में मुख्य व उपमुख्य पार्षद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर फंसा पेच
मधुबनी में मुख्य व उपमुख्य पार्षद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर फंसा पेच

मधुबनी । उत्क्रमित नगर निगम की मुख्य पार्षद सुनैना देवी और उप मुख्य पार्षद वारिस अंसारी के खिलाफ तीसरी बार अविश्वास व्यक्त करते हुए वार्ड पार्षदों की ओर से दिए गए आवेदन पर पेच फंस गया है। जानकारों की मानें तो अविश्वास प्रस्ताव पर कानून का ब्रेक लग गया है। फिलहाल नगर निगम प्रावधान के अनुसार मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रावधान के अनुसार उत्क्रमित नगर निकाय में अधिसूचना के छह माह तक कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। नगरपालिका प्रशासन निदेशालय के उप निदेशक बुद्ध प्रकाश के उत्क्रमित नगर निकाय में लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में जारी पत्र में यह बात सामने आई है। इसमें बताया गया है कि बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के प्रावधान के आलोक में उत्क्रमित नगर निकाय में स्थानीय प्राधिकार अधिसूचना जारी होने से छह माह तक अपना काम करता रहेगा। इसके अनुसार उत्क्रमित नगर निकाय में अधिसूचना जारी होने के छह माह की अवधि के बीच अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। उन्होंने आदेश में बताया है कि छह माह की अवधि तक अविश्वास प्रस्ताव लाया जाना विधि सम्मत नहीं है। नगर उपायुक्त अरुण कुमार ने बताया कि विभाग से जारी पत्र की जानकारी मिली है। यह पत्र अन्य नगर निकाय के परिप्रेक्ष्य में जारी है। इसके आलोक में फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। मुख्य पार्षद के द्वारा जब पत्र दिया जाएगा तो उसपर निर्णय लिया जाएगा।

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29 में से 17 वार्ड पार्षद ने जताया था विरोध :

बता दें कि नगर निगम के 29 में से 17 वार्ड पार्षदों ने अपना अविश्वास व्यक्त करते हुए बहस के लिए बैठक बुलाने की मांग की थी। उन्होंने सशक्त स्थायी समिति से पारित जनहित के निर्णय पर अमल नहीं किये जाने को मुद्दा बनाया है। आवेदन में बताया गया है कि समिति से पारित प्रस्ताव का क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। इसलिए मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद के खिलाफ अविश्वास व्यक्त किया जा रहा है।

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प्रावधान व कानून में हमेशा विश्वास रखा : मनीष

विरोधी खेमे का नेतृत्व करने वाले सशक्त स्थायी समिति सदस्य मनीष कुमार सिंह ने बताया कि प्रावधान व कानून में हमेशा विश्वास रखा है। बताया कि शहर का विकास और वार्ड पार्षदों के साथ ही प्रतिनिधियों के मान सम्मान के लिए वे हमेशा संघर्ष किए हैं और आगे भी करते रहेंगे। हालांकि, उन्होंने पत्र की सत्यता पर सवाल उठाते हुए मुख्य पार्षद से बहस की तिथि निर्धारित करने की मांग की है। बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव के आवेदन पर रेखा नायक, मनीष कुमार सिंह, जयशंकर साह, धर्मवीर प्रसाद, सुभाष चंद्र मिश्रा, प्रभावती देवी, प्रीति चौधरी, कविता देवी, सोनाली देवी, सुरेन्द्र मंडल, रेजा इश्तियाक अहमद, कैलाश साह, पूनम कुमारी, विनिता देवी, खालिद अनवर, शबनम आरा और बेनजीर खालिद ने हस्ताक्षर किए थे।

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अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होती तो जीत थी पक्की : मुख्य पार्षद

इधर, मुख्य पार्षद सुनैना देवी और उप मुख्य पार्षद वारिस अंसारी ने बताया कि यदि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होती तो भी उनकी ही जीत होती। वे अपनी जीत के लिए आश्वस्त थे। सशक्त स्थायी समिति सदस्य उमेश प्रसाद और सुनीता पूर्वे ने बताया कि सभी पार्षदों को मतभेद भुलाकर विकास के लिए काम करना होगा। इधर, निगम के आयुक्त राकेश कुमार ने बताया कि मुख्यालय से जारी पत्र के अनुसार अधिसूचना जारी होने के छह माह तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। मधुबनी नगर निगम का 26 मार्च को अधिसूचना जारी हुआ है।

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