जयनगर में बेपटरी हुई जन वितरण प्रणाली व्यवस्था, उपभोक्ता हलकान

जयनगर अनुमंडल के जयनगर लदनियां और बासोपट्टी प्रखंड में जन वितरण प्रणाली की व्यवस्था बेपटरी है। मामला चाहे राज्य खाद्य निगम का हो या डीलरों द्वारा अनाज वितरण की व्यवस्था हो सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 12:01 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 12:01 AM (IST)
जयनगर में बेपटरी हुई जन वितरण प्रणाली व्यवस्था, उपभोक्ता हलकान
जयनगर में बेपटरी हुई जन वितरण प्रणाली व्यवस्था, उपभोक्ता हलकान

मधुबनी । जयनगर अनुमंडल के जयनगर, लदनियां और बासोपट्टी प्रखंड में जन वितरण प्रणाली की व्यवस्था बेपटरी है। मामला चाहे राज्य खाद्य निगम का हो या डीलरों द्वारा अनाज वितरण की व्यवस्था हो, सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है। अनुमंडल कार्यालय परिसर स्थित राज्य खाद्य निगम का परिसर देखने के बाद आपको सहज ही यहां की बदतर हालात का पता चल जाएगा। पूरा एसएफसी परिसर कीचड़ से अटा पड़ा है। ऐसे हालात में मजदूरों और डीलरों को काम करने में किस स्तर पर फजीहतों का सामना करना पड़ता होगा, सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

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एसएफसी प्रबंधन का जिम्मा डीलर के हवाले :

जयनगर एसएफसी गोदाम में अनाज पहुंचाने का मामला हो या यहां से डीलरों के घर तक अनाज भेजने का मामला, सारा कार्य यहां पर प्रबंधक के चहेते डीलर ही संचालित करते हैं। एसएफसी प्रबंधक दरभंगा में ही रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहें हैं। महीने में एक-दो दिन आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर चलते बनते हैं। जानकारी के अनुसार प्रबंधक सेवानिवृति के बाद सेवा विस्तार का लाभ लेकर कार्य कर रहे हैं।

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आपूर्ति विभाग भी प्रभार के सहारे :

अनुमंडल के जयनगर, लदनियां एवं बासोपट्टी प्रखंड में आपूर्ति विभाग भी प्रभार के भरोसे ही चल रहा है। जयनगर में अपर एसडीओ आपूर्ति पदाधिकारी के प्रभार में हैं। लदनियां में झंझारपुर के एमओ प्रभार में हैं और बासोपट्टी में अंचलाधिकारी एमओ के प्रभार में हैं। आपूर्ति पदाधिकारी का पद प्रभार के सहारे संचालित होने के कारण यहां लोगों को समय पर न ही अनाज मिल पाता है, न ही केरोसिन।

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जनता की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं :

अनुमंडल के तीनों प्रखंडों में नियमित आपूर्ति पदाधिकारी नहीं रहने के कारण राशन कार्डधारियों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। कई लोग राशनकार्ड बनाने के लिए भी भटक रहे, लेकिन उनकी भी फरियाद सुनने के लिए कोई उपलब्ध नहीं रहता है। लोगों को ये पता भी नहीं चल पाता कि आखिर आपूर्ति विभाग किनके जिम्मे है, जिस कारण लोगों का हाल बेहाल है।

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