जनता कर रही मांग, आम लोगों को मिले सुविधा, जलजमाव से मुक्त हो कृषि भूमि

मधुबनी। वर्ष 2010 में परिसीमन आयेाग के फैसले के कारण झंझारपुर विधानसभा का भूगोल बदल गया। पहले इस विधानसभा में झंझारपुर व अंधराठाढ़ी के 17-17 पंचायत और नगर पंचायत के 16 वार्ड के मतदाता हुआ करते थे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 12:08 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 05:05 AM (IST)
जनता कर रही मांग, आम लोगों को मिले सुविधा, जलजमाव से मुक्त हो कृषि भूमि
जनता कर रही मांग, आम लोगों को मिले सुविधा, जलजमाव से मुक्त हो कृषि भूमि

मधुबनी। वर्ष 2010 में परिसीमन आयेाग के फैसले के कारण झंझारपुर विधानसभा का भूगोल बदल गया। पहले इस विधानसभा में झंझारपुर व अंधराठाढ़ी के 17-17 पंचायत और नगर पंचायत के 16 वार्ड के मतदाता हुआ करते थे। परिसिमन आयोग ने मधेपुर विधानसभा को खत्म कर दिया। झंझारपुर विधानसभा नए अस्तित्व में आया जिसके जद में झंझारपुर के 17, लखनौर प्रखंड के 17 और मधेपुर प्रखंड के छह पंचायत शामिल किए गए। साथ ही, नगर पंचायत झंझारपुर का पूरा क्षेत्र इसमें पूर्ववत बना रहा। झंझारपुर में लोगों ने विकास होते भी देखा है। नए अनुमंडल प्रशासनिक भवन व नए आईबी का निर्माण हुआ। जिला स्तरीय न्यायालय भी यहां काम कर रहा है। बावजूद कई ऐसी समस्याएं हैं जो आज भी यथावत है। पेपर मील चालू नहीं हुआ। कोई उद्योग-धंधा नहीं लग सका। अब चुनाव के दौरान जनता नेताओं से सवाल पूछ रही है।

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1. नहीं मिला जिला का दर्जा :

करीब तीन दशक से लोग झंझारपुर को जिला बनाने की मांग करते रहे हैं। सभी पार्टी के नेता भी झंझारपुर को नए जिला के लिए उपयुक्त मानते हैं। कारण, मधुबनी जिला भौगोलिक ²ष्टिकोण से बड़ा है और प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार के लिए नेता इसकी हामी भरते रहे हैं। लेकिन, इच्छाशक्ति के अभाव के कारण अब तक इस दिशा में सार्थक पहल नहीं हो सकी।

2. शहरी व देहाती क्षेत्र में जलजमाव :

बीते कुछ वर्षों से झंझारपुर विधानसभा की ह्दयस्थली रेलवे स्टेशन बाजार जलजमाव का सबसे बड़ा भूभाग बन गया है। साल के छह से आठ माह यहां जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। बाजार की रौनकता खत्म हो गई है। व्यवसायियों का व्यवसाय हांफ रहा है। यहां के लोग रेलवे स्टेशन बाजार, भारी वर्षा के कारण बेहट मुख्य पथ में होनेवाली जलजमाव, नगर पंचायत के कई वार्ड में होनेवाली जलजमाव सहित देहाती क्षेत्रों में जलजमाव से मुक्ति चाहते हैं।

3. किसानों के हजारों हेक्टेयर जमीन में जलजमाव :

झंझारपुर विधानसभा के सैकड़ों किसान पीढ़ी दर पीढ़ी से जमीन के मालिक रहते हुए भी हलकान हैं। दीप से लेकर बेलौंचा तक दलिहारा चौर की करीब पांच सौ एकड़ जमीन और लखनौर, बेलही, गुणाकरपुर, निर्मला, पचही, लक्ष्मीपुर, प्रसाद, बांकी सहित अन्य गांव के सैकड़ों किसान की इसराईन चौर की एक हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर सालो भर जलजमाव रहता है। इस जलजमाव को हटाने की कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं अपनाई जाती। साथ ही सरकार जलजमाव वाली जमीन पर कोई ऐसी खेती की परियोजना भी नहीं बना रही है जिससे जमीन के मालिक अपनी जमीन से कुछ कमा सकें। यह किसानों के लिए यहां असली मुद्दा है। 4. मखाना प्रोसेसिग यूनिट बंद :

संपूर्ण मिथिलांचल मखाना उत्पादन के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। इसके लिए सरकार ने वर्ष 2008 में झंझारपुर के नगर पंचायत स्थित कन्हौली में व्यापार मंडल प्रांगण में मखाना प्रोसेसिग यूनिट की स्थापना की। इसमें करीब 32 लाख रुपये का खर्च आया। उद्देश्य था कि यहां मखाना का प्रोसेस कर इससे कई उत्पाद बनाकर इसका बाजार विकसित किया जाए। इससे किसानों का मखान उचित दाम मिलेगा और देश-विदेश में इसकी पहुंच बढ़ेगी। लेकिन यह यूनिट एक साल भी काम नहीं कर सका। यहां गैसीफायर मशीन लगाया गया था जो धान की भूसी से चलता था। उद्देश्य था कि यह इतनी बिजली पैदा करेगा। लेकिन, यह योजना भी ठप है। 5. नहीं लगा उद्योग-धंधा : नए उद्योग धंधा लगाने की मांग भी यहां युवा उठा रहे हैं। झंझारपुर में इसकी शुरूआत अस्सी के दशक में हुई थी। नगर पंचायत के नगर थाना के सामने औद्योगिक प्रांगण की जमीन पर पेपर मील की नींव रखी गई थी। लेकिन, मिल का भवन आज तक तैयार नहीं हो सका। कुछ मशीनें आई थी जो बर्बाद हो गई।

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किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि भूमि में जलजनित कृषि को बढ़ाने की आवश्यकता है। अभी वर्षो से किसान ठगा सा महसूस कर रहे हैं। देहाती क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल का समुचित प्रबंधन व देहात में जलजमाव को दूर करने की मांग है।

- नीतीश रंजन, मतदाता, दीप -------------

रेलवे स्टेशन बाजार विधानसभा का हृदयस्थली है। इसके जलजमाव को दूर करने के लिए प्रतिनिधि को मास्टर प्लान बनाकर अमल में लाना चाहिए, ताकि आवागामन सुविधाजनक हो। साथ ही वे विदेश्वर स्थान से लेकर रामचौक पर मुख्य पथ के दोहरीकरण की भी मांग करते हैं।

कृष्ण कुमार टिबड़ेवाल, मतदाता, आरएस

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