कमला के भय से नवटोलिया के एक दर्जन से अधिक परिवारों ने एनएच को बनाया बसेरा
झंझारपुर। कमला नदी किसानों के लिए जीवनदायी भी और अभिशाप भी। सामान्य दिनों में यह नदी किसानों की खेतों को सिचती है।
झंझारपुर। कमला नदी, किसानों के लिए जीवनदायी भी और अभिशाप भी। सामान्य दिनों में यह नदी किसानों की खेतों को सिचती है। उनके पशुओं की प्यास बुझाती है। किसानों का घर अन्न से भर देती है। लेकिन, सरकारी व प्रशासनिक उदासीनता के कारण बारिश के समय यही नदी लोगों के लिए प्राणघातक भी बन जाती है। एक बार फिर कमला का टांडव शुरू है। अनुमंडल मुख्यालय से गुजर रही कमला की धारा को देख कर लोग भय से कांप रहे हैं। झंझारपुर में कमला नदी के पूर्वी व पश्चिमी बांधों के बीच बसे नवटोलिया गांव पर यह कहर बरपा रही है। नदी का रौद्र रूप देखते हुए गांव के करीब 15 परिवार अपना आशियाना बदल चुके हैं। अपने घर को छोड़ माल-मवेशी के साथ इन परिवारों ने एनएच 57 के कन्हौली ब्रिज के पास अपना ठिकाना बना लिया है। कंक्रीट की छत से निकल पल भर में ये परिवार पॉलीथिन व तिरपाल के नीचे आ चुके हैं। नवटोलिया गांव की महिला दुखनी देवी की आंखों में अभी भी पिछले साल की त्रासदी नाच रही है। बताया कि पिछले साल तो कमला मैया ने पूरे गांव को लील लिया। कई लोगों के घर ध्वस्त हो गए। सामान बर्बाद हो गए। पाई-पाई जमा कर संजोए सामान पल भर में आंखों के सामने नष्ट हो गए। उस समय अचानक से बाढ़ का पानी आ जाने से लोग सचेत भी नहीं हो पाए और कईयों की दुनिया उजड़ गई। इस बार लोग पहले से सचेत हैं। शुक्रवार को नदी में पानी बढ़ने की सूचना मिली। फिर पता चला कि पानी गांव की ओर बढ़ रहा है। बस, फिर क्या था, लोग सुरक्षित ठिकाने की ओर बढ़ चले। वहीं पर मिले बसंत मुखिया, तेतर मुखिया, मुकेश मुखिया, शीला देवी व कई अन्य ग्रामीण। पूछने पर बताया कि अब तक राहत के तौर पर कुछ नहीं दिया गया है। सीओ कन्हैया लाल ने बताया कि उनलोगों के घरों में पानी नहीं गया है। स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। फिलहाल, एनएच से घर पहुंचने के लिए नाव की व्यवस्था कर दी गई है।