कोसी क्षेत्र के लिए आस जगा गए नीतीश
मधुबनी। सुदूर कोसी का इलाका। यहां रात के अंधेरे में क्या दिन के उजाले में भी लोग आने से परहेज करते हैं। विकास की किरण इस क्षेत्र में अब भी पूरी तरह नहीं पहुंची है।
मधुबनी। सुदूर कोसी का इलाका। यहां रात के अंधेरे में क्या, दिन के उजाले में भी लोग आने से परहेज करते हैं। विकास की किरण इस क्षेत्र में अब भी पूरी तरह नहीं पहुंची है। क्षेत्र के लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने को अभिशप्त हैं। इनके दर्द को समझा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने। पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के अंतर्गत सात कार्यो का उन्होंने शनिवार को शिलान्यास किया। वर्षो से लंबित इस परियोजना के शिलान्यास ने यहां के लोगों में नई आस जगा दी। वहीं कोसी तटबंध के अंदर बसे हजारों लोगों की बाढ़ से सुरक्षा के इंतजाम ने यह बताया दिया कि इनके दिन अब बहुरने वाले हैं।
सीएम नीतीश कुमार ने कोसी सुरक्षात्मक बांध का परसौनी से मेहसा तक विस्तारीकरण को मंजूरी दी। इसमें 48 करोड़ 42 लाख रुपये की लागत आएगी। कच्ची सड़कों पर चलने को विवश क्षेत्र के लोगों को इस रिग बांध पर सड़क बनने से यातायात की भी बेहतर सुविधा मिलेगी।
बसीपट्टी पंचायत के नोनयारी गांव निवासी राम नारायण सिंह बताते हैं, इस सुरक्षात्मक बांध बन जाने से वे सुरक्षित महसूस करेंगे। अबतक पांच जगह अपना आशियाना बदल चुके इस शख्स का कहना था कि अभी तो घर के बीच से ही मोईन फोड़ देती है कोसी। लेकिन, अब लगता है कि इस सब के अलावा फसल नहीं डूबेगी। वहीं कटाव भी रुक जाएगा। द्वालख गांव के बीएड कर रहे युवक रामघारी सदाय कहते हैं, इतना कुछ होने के बाद भी सड़क व अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव सालता है। इसके बिना विकास की बातें अधूरी रह जाती हैं। मगर, मुख्यमंत्री से आस है। वे ही कुछ कर सकते हैं। वहीं गढ़गांव पंचायत के गेवाल गांव निवासी रघुनंदन यादव (75)कहते हैं, 30 हजार से ज्यादा की आबादी सुरक्षित हो जाएगी। लेकिन, गढ़गांव पंचायत के अन्य गांवों को पुनर्वासित करना होगा। इस बांध से यह इलाका और असुरक्षित हो जाएगा। वहीं बगल में खड़े भरगामा पंचायत के टेंगराहा गांव निवासी हरिरंजन (40) तपाक से इसका भी निराकरण सुझा देते हैं। कहते हैं, सुरक्षात्मक बांध से असुरगढ़ होते हुए आगे तक अगर एक और रिग बांध बना दिया जाए। इससे इसका भी समाधान निकल सकता है। खैर यह तो समय बताएगा। मगर, मुख्यमंत्री ने इस पिछड़े क्षेत्र के लोगों में विकास की नई आस जगा दी है। जो आजादी के वर्षो बाद नहीं हो सकी थी।