रमजान अल्लाह का महीना, पवित्रता से रख रहे रोजा

मधुबनी। माह-ए-पाक रमजान को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग काफी पवित्रता के साथ रोजा रख रहे ह

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 11:47 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 11:47 PM (IST)
रमजान अल्लाह का महीना, पवित्रता से रख रहे रोजा
रमजान अल्लाह का महीना, पवित्रता से रख रहे रोजा

मधुबनी। माह-ए-पाक रमजान को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग काफी पवित्रता के साथ रोजा रख रहे हैं। कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए बरकतों व रहमतों वाले इस माह के लिए घरों में सहरी, तरावीह, रोजा, इफ्तार के लिए लोग काफी तत्पर देखे जा रहे हैं। सेवई, खजूर, किशमिश, काजू फल, सेवई पीनखजूर व टोपी सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी चल रही है। कोरोना गाइडलाइंस को लेकर जगह-जगह इफ्तार का आयोजन नहीं किया जा रहा है। बल्कि रोजेदार अपने-अपने घरों में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए इफ्तार में शामिल होते है। बच्चे भी बड़े उत्साह के साथ रोजा रख रहे हैं। रमजान के रोजे की बड़ी अहमियत: फोटो 22 एमडीबी 19 अंजुमन इत्तेहादे मिल्लत के संयोजक अमानुल्लाह खान ने बताया कि रमजान के रोजे इस्लाम की पांच बुनियाद में से सबसे अहम अहकाम में से एक हुकुम है। जान-बूझकर रोजे न रखना रमजान के खिलाफ होता है। सिर्फ एक रोजा रखकर बेवजह तोड़ देने को कफ्फारा कहते हैं। ऐसा करने वाले एक गुलाम आजाद करें या 60 रोजे लगातार रखें या फिर 60 मिस्किनो को दोनों वक्त का खाना खिलाएं और तोबा करे। कुरान करीम में जगह-जगह और हदीसे में रमजान के रोजे का जिक्र मौजूद है। जिसके फर्ज पूरे ना हो उसका कोई नफील कबूल नहीं है। रमजान में रोजे ना रखना बड़ा गुनाह है। किसी भी मुस्लमान को फर्ज रोजे का इनकार करना या ऐसा कहने वाला काफिर हो जाता है। रोजे या रोजेदारों का मजाक बनाने वाला भी मुसलमान नहीं रहता। उन्होंने रोजेदारों से कोरोना गाइडलाइंस का पालन की अपील की।

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