नदियों का जलस्तर बढ़ने से लोगों को सताने लगी बाढ़ की चिता

मधुबनी। बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र में बांध पर विस्थापित परिवारों एवं तटबंध के वाशिदों में भय का मा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 May 2021 10:55 PM (IST) Updated:Sat, 29 May 2021 10:55 PM (IST)
नदियों का जलस्तर बढ़ने से लोगों को सताने लगी बाढ़ की चिता
नदियों का जलस्तर बढ़ने से लोगों को सताने लगी बाढ़ की चिता

मधुबनी। बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र में बांध पर विस्थापित परिवारों एवं तटबंध के वाशिदों में भय का माहौल है। तीन दिनों की झमाझम बारिश से धौंस, खिरोई व थुम्हानी नदियों का जलस्तर शनिवार की सुबह से बढ़ने लगा है। संभावित बाढ़ की आशंका से लोग सहम गए हैं। बाढ़ से निपटने व जानमाल की क्षति को देखते हुए अभी से ही बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोग अपनी सुरक्षा के इंतजाम में लग गए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने समाग्री खरीद कर घरों में रखना शुरू कर दिया है। प्रखंड के शिवनगर, छूलकाढ़ा, चानपुरा, अग्रोपट्टी, पाली, करहारा, बिरदीपुर, सोहरौल, धनुषी, मकिया, विशनपुर सहित एक दर्जन गांवों में बांध पर विस्थापित परिवार संभावित बाढ़ की आशंका से त्रस्त हैं। बांध व तटबंध के वाशिदों में बेचैनी छा गई है। बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा महाराजी बांध, रिग बांध जर्जर व क्षतिग्रस्त रहने के कारण यहां के लोगों में संभावित बाढ़ की आशंका सताने लगी है। बाढ़ सुरक्षा महाराजी बांध जर्जर व क्षतिग्रस्त रहने के कारण बाढ़ व बरसात के दिनों में यहां के नागरिकों को भारी परेशानी का दंश झेलना पड़ सकता है। बाढ़ आने के बाद प्रखंड के एक दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं जो चारो ओर बाढ़ की पानी से घीर टापू बन जाते हैं। 40 किलोमीटर की दूरी में महराजी बांध है। नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र से छोड़े जाने वाले पानी से होने वाले तबाही को बचाने के लिए दरभंगा महाराज ने इस बांध का निर्माण कराया था। महाराजी बांधो का समुचित रखरखाव नहीं होने तथा मिट्टी नहीं डाले जाने से बांधों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। बांध की वर्तमान स्थिति बाढ़ के पानी के दबाव को सहने में कमजोर साबित हो सकती है।

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40 सालों से बांध पर विस्थापित जीवन बीता रहे कई परिवार : रिग बांध पर विस्थापित दशरथ सदा, झरिया सदा, गणेशी सदा, रामाशीष सदा, दरफि सदा, सावित्री देवी, चन्द्रावती देवी, विक्रम सदा, रामरती देवी, सोनफी सदा, सोगारथ सदा एवं विजय कमती, फुलेश्वरी देवी, दिनेश पासवान, मिथिलेशिया देवी, राजे पासवान, गणेश पासवान, राजकिशोर पासवान, लालबाबू कमती, शांति देवी, प्रमिला देवी आदि ने बताया कि पिछले 40 सालों से बांध पर विस्थापित होकर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। बाढ़ आने पर घर छोड़कर सड़क पर आ जाते हैं। कहा कि बांध पर विस्थापित जीवन जीने वाले परिवारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। हर वर्ष बाढ़ के कारण उजड़ने व बसने की नियति बन गई है।

--------------- तैयारी में जुटा विभाग : बढ़ नियंत्रण विभाग झंझारपुर के कनीय अभियंता सुधीर प्रसाद ने बताया कि बेनीपट्टी प्रखंड में महाराजी बांध के पाली, अग्रोपट्टी, सोहरौल, नजरा गांव में मरम्मती कराई गई है। सोहरौल गांव में धौंस नदी के किनारे बांध के बचाव को लेकर बोरी में मिट्टी डालकर जाल लगा गेवियन व यूकेलिरियस बल्ला का कार्य किया गया है। बांधों पर रेन कट को दुरूस्त किया जा रहा है।

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