सकरी स्टेशन व बस स्टैंड में कोरोना जांच की पर्याप्त व्यवस्था नहीं

मधुबनी। कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या और कई राज्यों में लगे लॉकडाउन के कारण फिर स

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 12:00 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 12:00 AM (IST)
सकरी स्टेशन व बस स्टैंड में कोरोना जांच की पर्याप्त व्यवस्था नहीं
सकरी स्टेशन व बस स्टैंड में कोरोना जांच की पर्याप्त व्यवस्था नहीं

मधुबनी। कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या और कई राज्यों में लगे लॉकडाउन के कारण फिर से बेरोजगार हो प्रवासी अपने गृह जिला लौट रहे हैं। खासकर दिल्ली, मुंबई सहित अन्य शहरों से लगभग डेढ़ हजार से अधिक यात्री ट्रेन, बस व निजी गाड़ी से प्रतिदिन पंडौल प्रखंड सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। आने वाले प्रवासियों के संक्रमण की जांच के लिए सकरी एनएच-57 किनारे मधुबनी कट पर जांच कैंप बनाया गया है। सकरी में जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। केवल पांच प्रतिशत यात्रियों की ही जांच हो पाती है। जांच कर्मी भी आने वालों को नहीं टोकते तो आने वाले प्रवासी भी जांच टीम की नजरों से बच निकलते हैं। सकरी रेलवे स्टेशन पर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता से रोज एक से डेढ़ हजार यात्री ट्रेन से आ रहे हैं। इनकी कोरोना जांच के लिए निकास द्वार पर कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। यात्री आराम से ट्रेन से उतर कर बाहर निकलते हैं। उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं है। ऐसा ही कुछ हाल सकरी चौक पर बस से उतरने वाले यात्रियों का है। बाहर से आने वाले यात्री बसों से उतर कर ऑटो व अन्य साधनों से अपने-अपने घर आराम से निकल जाते हैं। मधुबनी जिलाधिकारी के आदेश के बाद सकरी एनएच-57 किनारे एक जांच केंद्र बनाया गया है। मगर, वहां जांच के नाम पर खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं हो रहा। सकरी बस स्टैंड व सकरी रेलवे स्टेशन पर लगभग डेढ़ से दो ह•ार प्रवासी प्रतिदिन उतरते हैं। बस स्टैंड पर कई यात्रियों को स्वास्थ्य कर्मी जबरन जांच के लिए बुलाते हैं। मगर, पुलिस कर्मियों के उदासीनता के कारण यात्री झगड़ने भी लगते हैं। स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि यात्रियों में जागरूकता की कमी है। शनिवार को सकरी मे जांच कर्मी केंप मे बिना पीपीई किट पहने बैठे नजर आए। जबकि, कैंप के सामने एनएच पर दिल्ली से आई बस से उतर कर कई यात्री बिना जांच कराए अपने घर चल दिए। इस बारे में जब जांच कर्मियों से पूछा गया तो आनन-़फानन मे पीपीई किट पहन कर जांच में लग गए। जबकि, आसपास के लोगों ने बताया कि दिन भर यही चलता है यहां। किसी का जांच किया जाता है तो किसी का नहीं। वैसे भी पांच बजे के बाद जांच करने वाले चले जाते हैं। जिसके बाद रात एक बजे तक बसों से यात्री उतरते हैं जो सीधे घर चले जाते हैं। बिना जांच के घर जा रहे प्रवासी पूरे जिला को खतरे में डाल रहे हैं।

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