समाजवादी विचारधारा के धरोहर हैं कर्पूरी ठाकुर

मधुबनी। कर्पूरी ठाकुर समाजवादी विचारधारा के अमूल्य धरोहर हैं। सामाजिक रूप से हाशिए पर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 10:41 PM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 10:41 PM (IST)
समाजवादी विचारधारा के धरोहर हैं कर्पूरी ठाकुर
समाजवादी विचारधारा के धरोहर हैं कर्पूरी ठाकुर

मधुबनी। कर्पूरी ठाकुर समाजवादी विचारधारा के अमूल्य धरोहर हैं। सामाजिक रूप से हाशिए पर खडे लोगों को मजबूत करने और सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक स्तर पर उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने जितना काम किया, भारतीय राजनीति में वह एक उदाहरण है। जरूरत है उनकी विचारधारा को अपनाने की। जिला जदयू के तत्वावधान में आयोजित पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए बतौर मुख्य अतिथि बाबूबरही की जदयू विधायक मीना कुमारी कामत ने यह बातें कही। कार्यक्रम मे पूर्व सीएम के तैल चित्र पर माल्यार्पण के बाद विधायक ने पूर्व सीएम के संकल्पों व आदर्शो को आधुनिक राजनेताओं के लिए एक पद्चिन्ह बताते हुए कहा कि किसानों, मजदूरों और युवाओं के मुद्दों पर पूर्व सीएम ने जो लकीर खींची, उसको पाटना संभव नहीं है, क्योंकि कर्पूरी ठाकुर की ईमानदार आचरण को वरन करना मुश्किल है। पूर्व विधायक सतीश साह ने पूर्व सीएम के आदर्शों की चर्चा करते हुए कहा कि बतौर सीएम कर्पूरी ने 11 अक्तूबर 1977 को जेपी के जन्मदिन पर जो चार ऐतिहासिक निर्णय लिए थे, किसानों के हित में वह बहुत ही प्रभावशाली साबित हुआ। जिलाध्यक्ष अब्दुल कैयूम ने कर्पूरी ठाकुर को एक प्रखर राजनेता, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी व गरीब-गुरबो का सच्चा हितैषी करार देते हुए कहा कि ईमानदारी व सादगी के साथ परिवारवाद से मुक्त रहकर शासन करना उनकी प्राथमिकता थी। इस शासन शैली के बदौलत ही वह अजातशत्रु बने रहे। जिला संगठन प्रभारी डॉ. अंजित चौधरी ने कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा को पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण पूंजी बताया। प्रदेश जदयू नेता प्रफुल्ल कुमार ठाकुर ने पार्टी कार्यकर्ताओं से पूर्व सीएम के पद्चिन्हो पर चलने का आह्वान करते हुए कहा कि आज के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को उनके जीवन से सीखने की आवश्यकता है। अति पिछडा प्रकोष्ठ के मधुबनी जिलाध्यक्ष रामभरोस राय की अध्यक्षता व संगठन के झंझारपुर अध्यक्ष मुन्ना भंडारी के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम मे मृणालकांत सिंह मून, डॉ. शिवकुमार यादव, कमलाकांत भारती, केदार भंडारी, प्रभात रंजन, अभिनव कुमार, सन्नी, अविनाश सिंह गौड, भरत चौधरी, देवेंद्र चौधरी, बासुदेव कुशवाहा, रामबाबू सिंह, रामबहादुर चौधरी, डॉ. संजीव झा, सत्य नारायण यादव, उपेंद्र सहनी, संगीता ठाकुर, कुमारी उषा, विक्रमशीला देवी, सीमा मंडल, सोनी कुमारी, मंजू राय, टिकू कसेरा, सुधीर राय, धर्मेन्द्र साह, गुलाब साह, संतोष झा, विजय राम, अवध कुशवाहा, अहमद हुसैन, रजा अली, सइद अनवर, मुस्तकिम राइन, शशिभूषण सिंह, आलोक कुमार, इफ्तिखार जिलानी, मो. लियाकत, सद्दाम कमरे, कपिल प्रसाद, फूलदेव यादव, तौसी़फ आलम, कमल नारायण सिंह, गोपाल झा, अजित सिंह, संजय कुशवाहा, शंकर झा, प्रभुजी झा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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