कार्तिक पूर्णिमा पर त्रिवेणी तट पर स्नान करने को उमड़ा सैलाब

मधुबनी। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर सोमवार को कमला बलान एवं सोनी नदी के त्रिवेणी संगम तट पर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 11:29 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 11:29 PM (IST)
कार्तिक पूर्णिमा पर त्रिवेणी तट पर स्नान करने को उमड़ा सैलाब
कार्तिक पूर्णिमा पर त्रिवेणी तट पर स्नान करने को उमड़ा सैलाब

मधुबनी। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर सोमवार को कमला बलान एवं सोनी नदी के त्रिवेणी संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। घड़ी की सूई रात के 12 पार करते ही त्रिवेणी घाट पर स्नान करने को लेकर लोगों की लंबी कतारें लगती रही। मन्नत पूरी होने पर लोग अपने बच्चों का मुंडन संस्कार को आए। भगत-भगतीनी अपने तंत्र सिद्धि को दूर-दूर से पैदल भगत खेलते यहां पहुंचे। पूर्व की व्यवस्था वश ग्रामीण ऐसी महिलाएं जो अपने निकटतम संबंधी के गांव नहीं जा सकती वैसी महिलाओं के लिए यह मिलन का स्थल बना। मेला की मस्ती में जाति,पंथ,भाषा की सारी दीवारें टूट गई। मिट गई ऊंच-नीच, गरीबी व अमीरी की खाई। मुख्य चौराहा पर इलाकाई ग्रामीणों द्वारा पूजा पंडालों में स्थापित कार्तिक विभिन्न प्रतिमाएं लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना रहा। सुबह से लेकर देर शाम तक दर्शनार्थ लोगों की भीड़ उमड़ती रही। हालांकि शांति समिति सदस्य तेजनारायण कर्ण,सुनील मंडल, पम्मू यादव, पवन मंडल आदि ने बताया कि गत वर्ष की अपेक्षा इस बार मेले में आधे से भी कम लोग आए। कमला नदी में हजारों श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान मधुबनी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर झंझारपुर अनुमंडल क्षेत्र से गुजर रहे कमला नदी के विभिन्न घाटों पर सैकड़ों की संख्या में भक्त श्रद्धाुलुओं द्वारा पवित्र स्नान कर अपने आराध्य की पूजा की। इस क्षेत्र के कंदर्पी घाट, कमला नदी के एनएच 57 के ब्रीज के कन्हौली घाट, परतापुर नदी घाट, झंझारपुर आरएस स्थित रेलवे नदी घाट आदि पर हजारों की संख्या में महिलाएं, पुरुष, बच्चे, बुढ़े एवं जवान लोगों द्वारा स्नान किया । इन नदी घाटों पर मेला लगाया गया था। साथ ही कमला नदी के तटों पर कमला मैया की प्रतिमा भी स्थापित की गई थी। परतापुर घाट पर निर्मित चचरी से सैकड़ों की संख्या में लोग नदी पार कर दूसरी ओर जाकर स्नान किया। दूसरी ओर नगर पंचायत क्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर ग्राम देवता की पूजा का भी आयोजन किया गया था। जिसमें पूजा के साथ ही कुमारी भोजन, बटुक भोजन का भी आयोजन किया गया था।

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