महाकवि विद्यापति श्रृंगार व भक्ति रस के कवि

मधुबनी। मिथिलांचल सर्वांगीण विकास संस्थान बेनीपट्टी के द्वारा श्री लीलाधर उच्च विद्यालय के मैदान में अ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 11:24 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 11:24 PM (IST)
महाकवि विद्यापति श्रृंगार व भक्ति रस के कवि
महाकवि विद्यापति श्रृंगार व भक्ति रस के कवि

मधुबनी। मिथिलांचल सर्वांगीण विकास संस्थान बेनीपट्टी के द्वारा श्री लीलाधर उच्च विद्यालय के मैदान में आयोजित 36वां तीन दिवसीय मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह का उद्घाटन शुक्रवार की रात पद्मश्री मधुबनी पेंटिग के राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित बौआदाई देवी ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर अपने उद्घाटन भाषण में बौआदाई देवी ने कहा कि महाकवि विद्यापति हमारी संस्कृति के आदर्श पुरुष व देश के विभूति एवं लोक भाषा के आदि रचनाकार थे। मिथिला में विद्वान व विभूतियों की कमी नही है। मिथिला की संस्कृति के बहुत बड़ा इतिहास है लेकिन महाकवि विद्यापति के इतिहास में विभूतियों को भगवान के रूप में पूजा की जा रही है। दुनिया में अनेकों देशों का भ्रमण किया लेकिन विश्व में मिथिला के संस्कृति का सबसे उन्नत है। इस अवसर पर जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष सतीशचंद्र मिश्र ने कहा कि मिथिला व संस्कृति के जागृति के बिना विश्व की कल्याण संभव नहीं है। मिथिला की भूमि साहित्य भारत के इतिहास में चर्चित है। मिथिला के विभिन्न क्षेत्र में एक से एक विभूति हुए जहां भाषा व ज्ञान के क्षेत्र में न्याय, मीमांसा, वीरता, व राजा शैलेश, दीनाभद्री, दुर्गादयाल, बंठाचमार, अपने अपने समाज के महान पुरूष हुए परंतु आदि पुरूष महाकवि विद्यापति को माना जा रहा है। महाकवि विद्यापति के द्वारा गीतों में उस समय समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति आम लोगों का ध्यान आकृष्ट कराया था। महाकवि विद्यापति की रचना आज भी प्रासंगिक है। इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष अमरनाथ झा भोलन तथा कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नवीन कुमार झा न कहा कि विश्व में जितने भी संस्कृति है। उनकी अलग-अलग महत्ता है। इनमें मिथिला के संस्कृति श्रेष्ठतम में एक है। महाकवि विद्यापति के काल से ही यहां की संस्कृति उन्नत है उनके रचना लोगों को प्रभावित किया है। मैथिली भाषा विश्व में मधुरतम भाषा है। अपने संस्कृति के बचाने व सम्मान के लिए अपने विभुतियों को याद कर रहे हैं जो बहुत बड़ी गौरव की बात है।

इस अवसर पर संस्थान के मुख्य प्रवक्ता व पत्रकार संतोष कुमार मिश्रा ने कहा कि महाकवि विद्यापति लोक भाषाओं के आदि रचनाकार थे। वैसे तो मिथिला विद्वानों की धरती प्राचीनकाल से है। यहां अनेक विश्रुत विद्वान हुए जो स्मरणीय भी हैं, लेकिन महाकवि विद्यापति ऐसे विद्वान हुए जिनको लेकर सभी वर्गो के लोग एक साथ मिल बैठकर उनकी चर्चा करते है। मिथिलांचल में रहने वाले सभी मैथिल है। मिथिला विद्वानों का धरती है साथ ही यहां के युवक उर्जावान हैं। संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. एमटी रेजा ने कहा कि विद्यापति मिथिला के ही नहीं बल्कि राष्ट्र के विभूति है। विद्यापति आज भी मैथिली ललनाओं के कंठ में वास करते है। उनके रचनाओं के माध्यम से समाज में फैले कुरीतियों को समाप्त करने में सार्थक साबित हुई है। मैथिली भाषा मधुर भाषा हैं। बेनीपट्टी अनुमंडल प्रक्षेत्र पौराणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल का केंद्र रहा है। समाजसेवी नन्द झा डॉ. नवीन झा, शत्रुघ्न झा, ललित कुमार झा, संजीव चौधरी, अखिलेश झा, प्रो. भवानंद झा, कमलकांत ठाकुर, डॉ. बागीशकांत झा सहित अन्य लोगों ने विचार प्रकट किया। आगत अतिथि को संस्थान की ओर से मिथिला के पारंपरिक परिधान के तहत पाग व दोपटा से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अमरनाथ झा भोलन व संचालन अखिलेश झा ने किया।

विराट कवि सम्मेलन कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद विराट कवि सम्मेलन प्रो. विष्णुकांत मिश्र की अध्यक्षता में तथा अजित आजाद की संचालन में हुआ। जिसमें प्रो. बंशीधर मिश्र, सतीश साजन, आनंद मोहन झा, मैथिल प्रशांत, कमलेश प्रेमेंद्र, अक्षय आनंद सन्नी, अवधेश झा, रूपेश त्यौंथ, सदरे आमल गोहर, चंद्रेश, सुमित गुंजन, दीपक झा, अजित आजाद, मनोज कामत, प्रभाकर झा ऋषभ सहित अन्य कवियों ने अपने कविता के माध्यम से श्रोताओं को रातभर हंसाते-हंसाते लोट पोट करते रहे। संस्थान के द्वारा कविओं को पाग दोपटा से सम्मानित किया गया। छह लोगों को मिला मिथिला शिखर सम्मान: मिथिलांचल सर्वागीण विकास संस्थान बेनीपट्टी के द्वारा मिथिला विभूति पर्व के समारोह के अवसर पर मिथिला क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले विद्वान, साहित्यकार, चित्रकला, कवि, संगीत, गायक के रूप में छह विद्वानों को सम्मानित किया गया। संस्थान की ओर से अध्यक्ष अमरनाथ झा भोलन, उपाध्यक्ष डॉ. एमटी रेजा, कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नवीन कुमार झा, समाजसेवी नंद झा, प्रो. भवानंद झा, डॉ. वागीशकांत झा, कमलकांत ठाकुर सहित अन्य लोगों ने चित्रकला व पेंटिग में पद्म श्री बौआ दाई देवी, विद्वान रूद्रकांत पाठक, कवि अजित आजाद, संगीत में रमेश रंजन, साहित्य में उदयचंद्र झा, गायक व साहित्यकार, मिथिला रत्न कुंज बिहारी को मिथिला शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। रंगारंग संस्कृतिक कार्यक्रम में झूमते रहे श्रोता: मिथिला रत्न व सुप्रसिद्ध गायक कुंज बिहारी मिश्र, प्रसिद्ध गायक माधव राय एवं धरोहर संस्कृतिक मंच के कलाकारों ने रातभर श्रोताओं को झुमाते रहे। कलाकार रमेश रंजन, गंगा राम पासवान, ईश्वर कुमार, नागेंद्र कुमार, काजल दत्ता, खुशबू दत्ता, पायल दत्ता, सुभद्रा झा, सहित अन्य कलाकारों ने मैथिली गीत, नुक्कड़ नाटक, झिझिया, सामाचकेबा, छठ, जट-जटिन सहित अन्य विधाओं पर नृत्य पेश कर श्रोताओं को भरपूर मनोरंजन किया। कलाकारों ने जमकर अपने जलवा को बिखेर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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