सिर्फ कहने को प्लस टू विद्यालय, नहीं होती पढ़ाई

राज्य में शिक्षा व्यवस्था न केवल पठन-पाठन वरन आधारभूत संरचना के स्तर पर भी बदतर स्थिति में है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 May 2019 11:10 PM (IST) Updated:Thu, 30 May 2019 06:29 AM (IST)
सिर्फ कहने को प्लस टू विद्यालय, नहीं होती पढ़ाई
सिर्फ कहने को प्लस टू विद्यालय, नहीं होती पढ़ाई

मधुबनी। राज्य में शिक्षा व्यवस्था न केवल पठन-पाठन वरन आधारभूत संरचना के स्तर पर भी बदतर स्थिति में है। पंडौल प्रखंड के सरिसवपाही स्थित प्लस टू लक्ष्मीश्वर एकेडमी उच्च विद्यालय के संदर्भ में यह बात शत प्रतिशत सही है। वर्ष 2006में प्लस टू का दर्जा मिलने के बाद से आज तक यह भवन विहीन है। ऐसे में नामांकित छात्रों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। पुराना है इतिहास:

वर्ष 1914 में तत्कालीन दरभंगा महाराज ने प्राथमिक पाठशाला लक्ष्मीश्वर एकेडमी का निर्माण कराया गया था। जो बाद में क्रमश: मध्य विद्यालय उच्च व प्लस टू में परिवर्तित होता चला गया। वर्ष 2006 में प्लस टू का दर्जा मिलने के साथ ही वर्ष 2008 में भवन निर्माण का कार्य शुरू किया गया। जो की अब तक पूरा नहीं हो सका है। वहीं वर्ष 2010 से इंटर कला व विज्ञान संकाय के 60-60 छात्रों का नामांकन हो रहा है। वर्ष 2018 वाणिज्य संकाय में भी नामांकन होने लगा। वर्ष 2008 में प्लस टू भवन निर्माण हेतु 26 लाख रुपये संपूर्ण शिक्षा अभियान के तहत इस विद्यालय को मिले थे। निर्माण कार्य शुरू तो कर दिया गया, मगर ठेकेदार व जिला प्रशासन के बीच फंसे पेंच के कारण यह अब तक अधूरा पड़ा है। नहीं शुरू हो सकी पढ़ाई:

भवन नहीं होने से प्लस टू के सभी विद्यार्थियों का विद्यालय में पढ़ाई करने का सपना अधूरा ही है। यहां हर साल लगभग पांच सौ विद्यार्थी दसवीं पास करते हैं। विज्ञान , वाणिज्य व कला के कुल नामांकित 180 छात्रों का भविष्य हर वर्ष अधर में लटका रहता है। प्लस टू में शिक्षकों की उपलब्धता तो है मगर भवन विहीन होने के कारण छात्रों का केवल नामांकन के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। कक्षाओं का नहीं हो सका संचालन :

विगत आठ वर्षों से इंटर में नामांकित छात्रों का एक भी वर्ग संचालन नहीं हो सका है। सभी विद्यार्थी या तो खुद वही अध्ययन करते हैं या फिर भगवान भरोसे परीक्षा पास कर रहे हैं। भवन विहीन होने का आलम यह है कि कम्प्यूटर तो दर्जनभर हैं मगर कम्प्यूटर की शिक्षा नहीं दी जा रही है। विज्ञान के प्रयोगशाला संबंधित सामग्री के उपलब्ध होने के बावजूद छात्र - छात्रा प्रायोगिक वर्ग से भी वंचित हैं। वहीं इस बीच विद्यालय ने सात प्रभारी प्रधानाध्यापक देख लिए हैं। प्राय: सभी प्रभारी प्रधानाध्यापकों ने जिला पदाधिकारी व जिला शिक्षा पदाधिकारी से इस संबंध में पत्राचार कर शिकायत की है। लेकिन, समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीराम कुमार ने कहा कि इस पर मेरी नजर है। अधूरे पड़े भवन का निर्माण पूरा किया जाएगा।

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