पप्पू यादव की रिहाई के लिए जाप कार्यकर्ताओं ने निकाला आक्रोश मार्च

जाप सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की रिहाई को लेकर जाप कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को फुलपरास में जन आक्रोश मार्च निकाला।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 12:30 AM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 12:30 AM (IST)
पप्पू यादव की रिहाई के लिए जाप कार्यकर्ताओं ने निकाला आक्रोश मार्च
पप्पू यादव की रिहाई के लिए जाप कार्यकर्ताओं ने निकाला आक्रोश मार्च

मधुबनी । जाप सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की रिहाई को लेकर जाप कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को फुलपरास में जन आक्रोश मार्च निकाला। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने अस्पतालों की बदहाली, सभी बंद पड़े स्वास्थ्य व उप स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य सुविधाओं की समुचित व्यवस्था करने, राशन कार्ड से वंचित लोगों को अविलंब राशन कार्ड उपलब्ध कराने, कोरोनारोधी वैक्सीन पंचायत स्तर पर लोगों को दिए जाने, बिजली बिल माफ करने, कोरोना मृतकों को अविलंब मुआवजा सहित अन्य विभिन्न मांगों को लेकर भी नारेबाजी की। जाप कार्यकर्ताओं ने फुलपरास के लोहिया चौक से लेकर शहीद परमेश्वर चौक होते हुए अनुमंडल कार्यालय तक मार्च निकाल कर सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए अपने आक्रोश का इजहार किया। आक्रोश मार्च का नेतृत्व जाप के पूर्व प्रत्याशी गौरीशंकर यादव, जाप के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता डॉ. फाजिल अहमद, जाप जिला महासचिव रोहित नारायण यादव, दीपक झा, दरभंगा जिला के प्रवक्ता सुदर्शन बाबा, पप्पू बिग्रेड के अध्यक्ष संतोष झा, प्रदेश छात्र महासचिव ई. अजय, जिला अध्यक्ष महेश गुप्ता, विजय, महादेव बाबा, छात्र अध्यक्ष दीपेंद्र यादव, भगवान दत्त मंडल, हैदर अली, सतीश राय, शशी कुमार, ललन मंडल, सिदार्थ सुमन, बाल किशोर यादव, बिनोद साह, कौशल्या देवी, मनोज साह, शैलेंद्र यादव, सुभाष यादव, दीपेंद्र ठाकुर, शिवरंजन यादव आदि कर रहे थे। मार्च के दौरान जाप नेताओं ने जिला का स्वास्थ्य संबंधी डेटा दिखाते हुए कहा कि 45 लाख की जनसंख्या वाले इस जिले में मात्र 122 डॉक्टर हैं। कहा कि 429 उपस्वास्थ्य केंद्रों में न तो डॉक्टर हैं, न ही दवा उपलब्ध है। सभी स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ फाइल पर चल रहे हैं। अगर सभी मांगों व स्वास्थ्य व्यवस्था में अविलंब सुधार नहीं हुआ तो आंदोलन को और तेज करते हुए चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन को कमजोर समझने की भूल न करें।

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