प्रशासन ने नहीं की पहल तो युवक ने अपने दम पर करा दी सड़कों की मरम्मत

कहते हैं अगर हौसला हो तो इरादों के आगे कोई भी बाधा नहीं टिकती। ठाढ़ी के युवा राजनारायण उर्फ छोटू राय ने इसे सच साबित कर दिखाया है। प्रशासन और पंचायत गांव में जब वर्षों से टूटी सड़क ठीक नहीं करवा पाई तो इस शख्स ने ठान लिया कि सिस्टम को आईना दिखाना है। छोटू की इस मेहनत ने न सिर्फ सिस्टम को झकझोरा है बल्कि एक नजीर भी पेश की है। अंधराठाढ़ी की कई सड़कें बदहाल थी। गांव के लोगों ने सड़क बनाने के लिए सरकार से फरियाद की स्थानीय नेताओं से गुहार लगाई और अधिकारियों से पत्राचार किया मगर कुछ नहीं हुआ। छोटू ने सिस्टम की इसी अनदेखी के खिलाफ खुद लड़ने की ठानी और सड़क ठीक करवाने का काम शुरू किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 11:10 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 11:10 PM (IST)
प्रशासन ने नहीं की पहल तो युवक ने अपने दम पर करा दी सड़कों की मरम्मत
प्रशासन ने नहीं की पहल तो युवक ने अपने दम पर करा दी सड़कों की मरम्मत

मधुबनी । कहते हैं अगर हौसला हो तो इरादों के आगे कोई भी बाधा नहीं टिकती। ठाढ़ी के युवा राजनारायण उर्फ छोटू राय ने इसे सच साबित कर दिखाया है। प्रशासन और पंचायत गांव में जब वर्षों से टूटी सड़क ठीक नहीं करवा पाई तो इस शख्स ने ठान लिया कि सिस्टम को आईना दिखाना है। छोटू की इस मेहनत ने न सिर्फ सिस्टम को झकझोरा है, बल्कि एक नजीर भी पेश की है। अंधराठाढ़ी की कई सड़कें बदहाल थी। गांव के लोगों ने सड़क बनाने के लिए सरकार से फरियाद की, स्थानीय नेताओं से गुहार लगाई और अधिकारियों से पत्राचार किया, मगर कुछ नहीं हुआ। छोटू ने सिस्टम की इसी अनदेखी के खिलाफ खुद लड़ने की ठानी और सड़क ठीक करवाने का काम शुरू किया।

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निजी खर्च से ठीक कराई तीन सड़कें :

छोटू ने सबसे पहले ठाढ़ी मुख्य सड़क की मरम्मत करवाई जो गांव से खोपा एनएच सड़क में मिलती है। गांव के लोगों के लिए यह काफी महत्पूर्ण सड़क हैं जो कई महीनों से क्षतिग्रस्त थी। दूसरा बेल्हा महार बिसनपुरा से होते हुए ऐतिहासिक धार्मिक स्थल कमलादित्य स्थान तक जाने वाली एकमात्र सड़क जिसके लिए ग्रामीणों ने जनप्रतिनधि से लेकर प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, उसे भी अपने निजी खर्च से ठीक कराया। निजी खर्च से ही ह्यूम पाइप डाला, ताकि बरसात में पानी के कारण सड़क ना काटना पड़े। साथ ही अंधरा दक्षिण वार्ड संख्या चार अस्पताल से पूरब की सड़क जिस पर आज तक एक ईंट तक न गिरी थी। ़खासकर बरसात में ये सड़क पूरी तरह नाले में बदल जाती थी। उसको भी अपने निजी कोष से खरंजा करवाया।

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सिस्टम के लिए एक सबक :

छोटू बताते हैं कि इन खराब सड़कों के कारण गांव के लोगों को काफी दिक्कत होती थी। इससे व्यथित होकर उन्होंने सड़क बनाने की ठानी। गांव की ही भारतेंदु चौधरी, अशोक मंडल, ब्रह्मदेव राय आदि कहते हैं कि सड़क बन जाने से अब काफी आसानी हो रही है। जो कार्य छोटू ने किया, वह सरकार को करना चाहिए था। यह हमारे सिस्टम के लिए भी यह एक सबक है।

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