मधुबनी नगर निगम कार्यालय में हर दिन फजीहत झेलती आधी आबादी
नगर निगम कार्यालय में महिला पार्षदों व कर्मियों को हर दिन फजीहत झेलती पड़ रही है। विभिन्न कार्यो से नगर निगम कार्यालय आने वाली महिलाओं को भी परेशानी हो रही है। दरअसल नगर निगम कार्यालय में महिलाओं के लिए आज तक एक अदद शौचालय की व्यवस्था नहीं हो सकी। यह स्थिति तब है जबकि मुख्य पार्षद स्वयं महिला हैं।
मधुबनी । नगर निगम कार्यालय में महिला पार्षदों व कर्मियों को हर दिन फजीहत झेलती पड़ रही है। विभिन्न कार्यो से नगर निगम कार्यालय आने वाली महिलाओं को भी परेशानी हो रही है। दरअसल, नगर निगम कार्यालय में महिलाओं के लिए आज तक एक अदद शौचालय की व्यवस्था नहीं हो सकी। यह स्थिति तब है जबकि मुख्य पार्षद स्वयं महिला हैं। वर्तमान में 30 पार्षदों वाले निगम में महिला पार्षदों की संख्या 17 है। इसके अलावा कार्यालय में तीन महिला कर्मी भी कार्यरत हैं। महिला पार्षदों व महिला कर्मियों को शौचालय की जरूरत पड़ना लाजिमी है। मगर, शौचालय की जरूरत पड़ने पर इन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है। महिला पार्षदों और महिला कर्मियों के लिए शौचालय की कमी अबतक दूर नहीं हो सकी है। शौचालय के अभाव में महिला पार्षदों, कर्मियों व कार्यालय आने वाली अन्य महिलाओं को होने वाली परेशानियों का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
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पुरुष से अधिक महिला पार्षद :
नगर निगम के कुल 30 पार्षदों में महिला पार्षदों की संख्या 17 है, जबकि पुरुष पार्षदों की संख्या 13 है। महिला पार्षदों में मुख्य पार्षद सुनैना देवी के अलावा विनिता देवी, निर्मला देवी, पूनम कुमारी, रेखा नायक, बेनजीर खालिद, रेहाना खातून, आयशा खातून, सोनाली देवी, सुनीता देवी, महारानी देवी, प्रीति चौधरी, शबनम आरा, शबाना परवीन, कविता देवी, हलिमा खातून व प्रभावती देवी शामिल हैं।
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फाइलों में लटका महिला शौचालय व कमरा निर्माण :
नगर निगम कार्यालय में पुरुष कर्मियों के लिए एक शौचालय है। इसके अलावा मुख्य पार्षद तथा नगर आयुक्त के कक्ष में अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं। मगर, महिला पार्षदों के लिए अलग से कमरा और उनके लिए शौचालय का निर्माण आज तक नहीं हो सका। यह योजना अभी भी फाइलों में ही अटकी पड़ी है। बता दें कि बोर्ड की बैठक या फिर अन्य कार्य से निगम कार्यालय आने वाली महिला पार्षदों को शौचालय की जरूरत पड़ने पर उन्हें मुख्य पार्षद कक्ष के शौचालय का उपयोग करने पर विवश होना पड़ता है। जबकि, कार्यालय के महिला कर्मियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है।
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'नगर निगम कार्यालय में महिला पार्षदों के लिए भवन, शौचालय की कमी दूर करने के लिए पिछले चार वर्षों से लगातार मांग उठाई जा रही है। इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं होने से महिला पार्षदों के प्रति निगम की संवेदनहीनता सामने आ चुकी है।''
- प्रभावती देवी, पार्षद, वार्ड 30
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'नगर निगम की बैठक में शामिल होने वाली महिला पार्षदों को शौचालय की आवश्यकता पड़ने पर उन्हें भारी कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। मजबूरी में तत्काल मुख्य पार्षद के कक्ष के शौचालय का उपयोग करते हैं।'
- विनीता देवी, पार्षद, वार्ड दो
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'नगर निगम कार्यालय में महिला पार्षदों के लिए भवन निर्माण कार्य जल्द शुरू करना चाहिए। निगम कार्यालय की महिला कर्मियों एवं यहां आने वाली शहर की महिलाओं को शौचालय की जरूरत पड़ने पर परेशानी होती है।'
- निर्मला देवी, पार्षद, वार्ड पांच
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'निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण के बाद भी महिला पार्षदों के लिए बुनियादी सुविधाओं में शामिल भवन व शौचालय का नहीं होना नगर निगम के विकास के दावे की सच्चाई को सामने लाता है।'
- रेहाना खातून, पार्षद, वार्ड 10 ------------------''महिला पार्षदों के भवन सहित अन्य सुविधाओं के लिए एकजुट होकर आवाज बुलंद करना होगा। निगम में उनकी आधी भागीदारी के बाद भी इनकी सुविधाओं को मुहैया कराने में निगम विफल रहा है।''
- महारानी देवी, पार्षद, वार्ड 15 --------------'महिला पार्षदों के लिए शौचालय युक्त भवन निर्माण के लिए करीब डेढ़ वर्ष पूर्व सशक्त स्थाई समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित है। इसके बाद भी विभाग द्वारा भवन निर्माण की स्वीकृति नहीं दी जा सकी है। इसके लिए पत्राचार किया जाएगा। बोर्ड या फिर सशक्त स्थायी समिति की बैठक के माध्यम से महिला पार्षदों की सुविधाओं में इजाफा के लिए लगातार निर्णय लेते रहे हैं। भवन निर्माण के लिए फिर से पहल की जाएगी।'
- सुनैना देवी, मुख्य पार्षद
महिला पार्षदों के लिए भवन और शौचालय निर्माण के लिए पूर्व में लिए गए निर्णय का अवलोकन कर अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। - राकेश कुमार, नगर आयुक्त