एक ही पल में चार घरों के बुझ गए चिराग, बेसहारा हुए माता-पिता

मधुबनी। साथ जीने की कसमें खाने वाले चार दोस्तों ने एक साथ ही दुनिया को अलविदा कह दिया। सोमवार

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Feb 2021 11:42 PM (IST) Updated:Tue, 16 Feb 2021 11:42 PM (IST)
एक ही पल में चार घरों के बुझ गए चिराग, बेसहारा हुए माता-पिता
एक ही पल में चार घरों के बुझ गए चिराग, बेसहारा हुए माता-पिता

मधुबनी। साथ जीने की कसमें खाने वाले चार दोस्तों ने एक साथ ही दुनिया को अलविदा कह दिया। सोमवार की देर रात अड़ेर में सड़क हादसे में चारों दोस्तों की मौके पर ही मौत हो गई। इसके साथ ही चार घरों का चिराग भी हमेशा के लिए बुझ गया। चारों दोस्त अपने माता-पिता के एकलौते बेटे थे। इस दर्दनाक घटना ने बेनीपट्टी व बिस्फी प्रखंड के चार गांवों में वसंत पंचमी की खुशियों को मातम में बदल दिया। चारों के घरों में कोहराम मचा हुआ था।

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चारों दोस्तों में एक था नाबालिग :

मृतक चारों दोस्तों में एक नाबालिग था। बेनीपट्टी प्रखंड के एकतारा गांव के प्रणव कुमार की उम्र महज 17 वर्ष थी। वहीं, बेनीपट्टी के ही बिचखाना गांव के मनीष कुमार चौधरी 18 वर्ष का था। बिस्फी प्रखंड के रघेपुरा गांव का विमलेश कुमार साह 18 वर्ष और केड़वार गांव का नीतीश कुमार 19 वर्ष का था। चारों दोस्त मधुबनी में रहकर मैट्रिक व इंटर की पढ़ाई करते थे।

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शव पहुंचते ही स्वजनों के चित्कार से गूंज उठे चार गांव :

चारों मृतकों का पोस्टमार्टम करा शव स्वजनों को सुपुर्द कर दिया गया। शव के पहुंचते ही चारों के गांव में कोहराम मच गया। स्वजनों के चित्कार से लोगों का दिल दहल उठा। एक झटके में चार परिवार उजड़ गए। चारों गांवों में मातम का माहौल बना हुआ है।

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बेटों का शव देख माता-पिता के आंखों के सामने छाया अंधेरा :

अपने कलेजे के टुकड़े का शव देख माता-पिता बेसुध हैं। बेनीपट्टी के बिचखाना गांव का मनीष किसान सुनील चौधरी व गृहिणी नीलू देवी का एकलौता पुत्र था। वह इंटर का छात्र था। एकतारा गांव का प्रणव किसान प्रकाश कुमार व गृहिणी मांडवी देवी का एकलौता पुत्र था। वह मैट्रिक का छात्र था। इधर, बिस्फी के रघेपुरा का विमलेश किराना दुकानदार राकेश कुमार साह व गृहिणी अनिता देवी का एकलौता पुत्र था जो इंटर का छात्र था। वहीं, केड़वार गांव का इंटर का छात्र नीतीश भी शिक्षक ललित कुमार यादव का एकलौता पुत्र था। जिन बेटों के सहारे बुढ़ापा काटने का सपना माता-पिता संजोए बैठे थे, उनका शव देखते ही उनके आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उनके चित्कार से लोगों की आंखें नम हो गई।

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