प्रति वर्ष बाढ़ से मचती भारी तबाही

मधुबनी। मैं बलुआ टोल गांव हूं।अनुमंडल मुख्यालय से एक किलोमीटर की दूर भारत नेपाल के सीमा से सटा मैं कमला नदी के किनारे बसा हूं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 10:54 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 10:56 PM (IST)
प्रति वर्ष बाढ़ से मचती भारी तबाही
प्रति वर्ष बाढ़ से मचती भारी तबाही

मधुबनी। मैं बलुआ टोल गांव हूं।अनुमंडल मुख्यालय से एक किलोमीटर की दूर भारत नेपाल के सीमा से सटा मैं कमला नदी के किनारे बसा हूं। वेलही पश्चिमी पंचायत के अधीन पड़ने वाला मैं हर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर हूं। इस वर्ष भी कमला नदी में आई भीषण बाढ़ की तबाही को सबसे अधिक मेरे पुत्र पुत्रियों ने ही झेला है, लेकिन सरकारी नुमाइंदे के अनदेखी के कारण आज भी मेरे पुत्रों को बाढ सहायता राशि की लिए भटकने को मजबूर होना पर रहा है। कमला नदी में आयी भीषण बाढ के पानी का दबाव इतना अधिक था कि पश्चिमी तटबंध को तोड़ते हुए पानी मेरे ही आंगन से गुजरते हुए पूरे सीमावर्ती क्षेत्र में तबाही मचाई। सरकारी जमीन नहीं रहने से परेशानी मेरे आंगन में गरीब गुरबा का बसेरा है। साठ प्रतिशत से अधिक आबादी दलित महादलित समुदाय से हैं। सरकारी नुमाइंदे के लचर कार्यशैली के कारण आज भी 25 प्रतिशत आबादी को आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है। बाढ़ के समय दो लोगों की मौत हो गई, लेकिन अंचल प्रशासन ने मामले की जांच करना उचित नहीं समझा, जिस कारण उन्हें मुआवजा नहीं मिल सका।गांव के एक मात्र प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण मेरे नैनिहालों का पठन पाठन प्रभावित है। मेरे अधिकांश पुत्र मजदूरी कर ही भरण पोषण करते है, लेकिन इन लोगों को मनरेगा से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। गांव में जलनिकासी एक प्रमुख समस्या बनी हुई है। सरकारी जमीन के अभाव में नाला निर्माण लंबित है। शौचालय निर्माण कराये लाभुकों को सहायता राशि नहीं मिल पा रहा है। मेरे कई परिवार अब तक राशन कार्ड से वंचित है। पॉश मशीन भी लाभुकों के लिए समस्या बनती जा रही है। जगह के अभाव में जल नल योजना का काम नहीं हो पा रहा है।

--------------------------

कमला नदी का पश्चिमी तटबंध टूटने के कारण आई भीषण बाढ में दो लोगों की मौत हो गई, लेकिन अंचलाधिकारी द्वारा मामले की जांच नहीं की गई, जिस कारण उन्हे अनुदान राशि से वंचित होना पड़ा। पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा पीड़ित परिवार को सहायता प्रदान की गई।

शतरूपन विराजी

गांव में सभी बाढ पीड़ित को अंचलाधिकारी के मनमानी रवैया के कारण बाढ़ सहायता राशि नहीं मिल सका। जिसका खामियाजा पंचायत प्रतिनिधियों को भुगतना पड़ रहा है।

मदन यादव -------------------------------------------

पक्की गली नली योजना के तहत गांव के सड़क का निर्माण नहीं होने से आवागमन में परेशानी है। आज भी बांस बल्ले के सहारे बिजली की आपूर्ति की जा रही है।

रंजीत कुमार

---------------------- --आबादी: 3000

--मतदाता: 1200

-- विद्यालय: एक

-- आंगनबाड़ी: एक

-- पीडीएस: एक

chat bot
आपका साथी