अधिकार की ना करें अनदेखी, बच्चों के विकास का रखें ख्याल

मधुबनी। शिक्षित घरों या शिक्षण संस्थानों में बाल अधिकार संरक्षण की कोशिश कारगर होने लगी है। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर तथा शिक्षा में पिछड़े परिवार में बाल अधिकार की अनदेखी सामने आ रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 11:58 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 11:58 PM (IST)
अधिकार की ना करें अनदेखी, बच्चों के विकास का रखें ख्याल
अधिकार की ना करें अनदेखी, बच्चों के विकास का रखें ख्याल

मधुबनी। शिक्षित घरों या शिक्षण संस्थानों में बाल अधिकार संरक्षण की कोशिश कारगर होने लगी है। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर तथा शिक्षा में पिछड़े परिवार में बाल अधिकार की अनदेखी सामने आ रही हैं। बच्चों के अधिकार को लेकर सरकारी स्तर पर संचालित कार्यक्रम को लागू करने में कोताही का खमियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। हालांकि, बच्चों के अधिकार को लेकर गैर सरकारी स्तर पर विभिन्न संस्था द्वारा संगोष्ठी, परिचर्चा के माध्यम से आवाज उठाई जाती रही हैं। वहीं सरकारी स्तर पर बच्चों के हित में संचालित योजनाओं का लाभ ससमय नहीं मिलने से बच्चों के अधिकार का हनन हो रहा है। आज विश्व बाल अधिकार दिवस पर हमें बच्चों को उनके अधिकार का लाभ दिलाने का संकल्प लेना चाहिए। बच्चों के साथ दोस्ती निभाने की शपथ दिलाई

बाल अधिकार दिवस के पूर्व संध्या पर सर्वो प्रयास संस्थान के चाइल्डलाइन मधुबनी कोलैब द्वारा Xह्नह्वश्रह्ल;चाइल्डलाइन से दोस्तीXह्नह्वश्रह्ल; कार्यक्रम के तहत बच्चों के समूह ने पुलिस अधीक्षक डॉ. सत्य प्रकाश के कक्ष में दोस्ती का सुरक्षा बैंड, बैच एवं गुलाब फूल देकर बच्चों के साथ दोस्ती निभाने की शपथ दिलाई। वहीं चाइल्डलाइन मधुबनी की नुक्कड़ नाटक टीम ने वाट्सन उच्च विद्यालय परिसर में नाटक के द्वारा बच्चों के अधिकार की जानकारी दी गई। मौके पर बासुकीनाथ, अनिल कुमार, पूनम कुमारी, किरण झा, पवन कुमारी, राहुल कुमार, मनीष झा, सन्नी कुमार, गीतांजलि सहित अन्य मौजूद थे। वहीं जयनगर में बाल अधिकार जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली को जयनगर थानाध्यक्ष एसएन सारंग द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। बाल अधिकार दिवस पर आज जिला मुख्यालय सहित जिले के कई हिस्सों में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विश्वभर में प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को मनाया जाता बाल अधिकार दिवस

विश्वभर में प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है। इस दिन को बच्चों के बीच जानकारी के आदान-प्रदान और आपसी समझदारी विकसित करने के साथ-साथ बच्चों के कल्याण से जुड़ी लाभार्थी योजनाओं के उद्देश्य से शुरू किया गया था। वर्ष 1959 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 20 नवंबर को बच्चों के अधिकारों के घोषणापत्र को मान्यता दी थी। इसी दिन वर्ष 1989 में बच्चों के अधिकारों के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जिसे 191 देशों द्वारा पारित किया गया।

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'बाल अधिकार की रक्षा के लिए परिजनों के साथ ही समाज के हरेक जिम्मेवार लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है। बच्चों के अधिकारों के हनन की बढ़ रही घटनाओं पर अंकुश लगाने की जरूरत है। बाल अधिकार से बच्चों को अवगत कराना चाहिए।'

- सचीन कुमार, छात्र

'बाल अधिकार दिवस पर बच्चों के अधिकार और उसकी खुशियों का संरक्षण पर मंथन होना चाहिए। बच्चों को उसके अधिकार दिलाने से उनका समुचित विकास संभव होगा। बच्चों को अपने अधिकार का गलत फायदा उठाने से परहेज करना चाहिए।'

- आयुषि कुमारी, छात्रा

'बाल अधिकार दिवस का बच्चों को बेसब्री से इंतजार होता है। इस दिन बच्चों के अधिकार और उनके हित संबंधी योजनाओं को अमल में लाने की खास पहल होती है। इसमें परिजनों के साथ-साथ स्कूल के शिक्षकों की भूमिका उल्लेखनीय होता हैं।'

- राज, छात्र

'दिवस विशेष पर बच्चों के अधिकार की चर्चा की जाती है। उसके दूसरे दिन से ही बच्चों के अधिकार की अनदेखी होने लगती है। बच्चों के अधिकार और विकास योजनाओं को लागू करने के लिए पारदर्शिता की जरूरत है।'

- गुरु शरण, छात्र

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