पिंडी स्वरूप काली के दरबार में भक्तों को मिलती अलौकिक शांति

मधुबनी। मिथिलांचल का ऐतिहासिक पौराणिक धार्मिक व आध्यात्मिक विरासत का धनी बेनीपट्टी प्रक्षेत्र

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 11:45 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 11:45 PM (IST)
पिंडी स्वरूप काली के दरबार में भक्तों को मिलती अलौकिक शांति
पिंडी स्वरूप काली के दरबार में भक्तों को मिलती अलौकिक शांति

मधुबनी। मिथिलांचल का ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक व आध्यात्मिक विरासत का धनी बेनीपट्टी प्रक्षेत्र अपने गौरवपूर्ण अतीत एवं उज्जवल वर्तमान के कारण सर्वाधिक चर्चित रहा है। यहां आदिकाल से ही घर-घर में शक्ति की पूजा होती रही है। मिथिलांचल के हृदयस्थली उच्चैठ अवस्थित कालीदास आराधिता छिन्नमस्तिका मां दुर्गा भगवती से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर बेहटा गांव में पिण्डी स्वरूप भगवती कालिका विराजमान हैं। यहां वासंती नवरात्र में विद्वान पंडित व श्रद्धालुओ के द्वारा मां कालिका की अराधना की जाती है। पिण्डी स्वरूप कालिका भगवती के दरबार में सच्चे मन से आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता। पिण्डी स्वरूप मां कालिका भगवती स्थान में दिव्य अनुभूति व आलौकिक शांति मिलती है। यहां प्रत्येक रात्रि में आठ बजे व सुबह में चार बजे पिण्डी स्वरूप कालिका भगवती का श्रृंगार व आरती भव्य रूप से होता है। कालिका भगवती के संबंध में जनश्रुति के अनुसार कभी यहां काले पत्थर से बनी मां की भव्य प्रतिमा थीए जिसे बगल के ग्रामीण चुरा कर ले गए। इस घटना से दोनों गांवों के बीच तनाव फैल गया। इधर, मां ने अपने पुजारी को स्वप्न दिया कि तुम मिट्टी से पिण्डी स्वरूप बनाकर पूजा अर्चना करो, मैं यहीं रहुंगी। तब से भक्तगण मां के पिण्डी स्वरूप की श्रद्धा भक्ति व आस्था से अराधना करते आ रहे हैं। एैसी मान्यता है कि वासंत्री नवरात्र में मां कालिका स्वयं दरबार में उपस्थित हो भक्तों की मुराद पुरी करती हैं। पिण्डी स्वरूप मां काली के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें अवश्य पूरी होती है। वासंती नवरात्र के पहले दिन से श्रद्धा और भक्त की धारा मां कालिका भगवती के दरबार में प्रवाहित हो रही है। चैती नवरात्र पूजा में बेहटा कालीस्थान में पिडी स्वरूप कालिका भगवती स्थान में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। चैती दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष दुर्गानंद झा, सचिव मिहिर झा, कोषाध्यक्ष कृष्णजीवन झा, इन्द्रकांत मिश्र, प्रो. भवानंद झा, सुमन झा, सतीश चन्द्र झा, मिन्टू झा, लक्ष्मी नारायण झा सहित ग्रामीण लोग श्रद्धालुओं की सहायता में लगे हुए हैं।

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