हीमोफीलिया रोग के प्रति जागरूकता की जरूरत

मधुबनी। आज विश्व हीमोफीलिया दिवस है। इसको लेकर लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक रहने की ज

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 11:25 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 11:25 PM (IST)
हीमोफीलिया रोग के प्रति जागरूकता की जरूरत
हीमोफीलिया रोग के प्रति जागरूकता की जरूरत

मधुबनी। आज विश्व हीमोफीलिया दिवस है। इसको लेकर लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। जिले करीब आधा दर्जन हीमोफीलिया के मरीज है। सदर अस्पताल में हीमोफीलिया की इलाज की व्यवस्था नहीं होने से उन्हे इलाज के लिए अन्यत्र जाना पड़ता है। हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है। जिसमें खून का थक्का बनना बंद हो जाता है। शरीर का कोई हिस्सा कट जाने के बाद खून बहता है। थक्के बनाने के लिए जरूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा करते है। तब खून बहना बंद होता है। सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया कि सदर अस्पताल में हीमोफीलिया के इलाज की सुविधा बहाल नहीं हो सका है। हीमोफीलिया के रोगियों को खून की कमी होने पर ब्लड बैंक से खून की सुविधा प्रदान की जाती है। बेवजह खून बह रहा हो तो जांच कराना जरूरी :

हड्डी व नस रोग विशेषज्ञ डॉ. एनके यादव ने बताया कि नियमित इलाज से हीमोफीलिया की रोकथाम की जा सकती है। हीमोफीलिया अधिकांशत: पुरुषों को होने वाला आनुवांशिक रोग है। बेवजह खून बह रहा हो तो जांच कराना जरूरी होगा। बिना वजह खून बहने पर सतर्क होना चाहिए। यह हीमोफीलिया के लक्षण हो सकता है। जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है। उनमें खून के थक्के बनाने वाले घटक बहुत कम होते हैं। माता-पिता में से किसी को ये बीमारी होने पर बच्चे को भी हो सकती है। ऐसे रोगी के दिव्यांग होने का खतरा बढ़ जाता है। हीमोफीलिया ए का दस हजार में एक मरीज :

दंत चिकित्सक डॉ. उमेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हीमोफीलिया दो तरह का होता है। हीमोफीलिया ए, में फैक्टर आठ की कमी होती और हीमोफीलिया बी, में घटक नौ की कमी होती है। दोनों में ही खून के थक्के बनाने के लिए आवश्यक है। हीमोफीलिया ए, का दस हजार में से एक मरीज पाया जाता है और बी, के 40 हजार में से एक। बीमारी बहुत गंभीर है। इसको लेकर लोगों में जागरूकता की जरूरत है। यह बीमारी अधिकतर आनुवांशिक कारणों से होती है। बिना चोट लगे भी कोहनी, घुटना या कूल्हा आदि में आंतरिक रक्तस्त्राव से जोड़ सूज जाते हैं, जिससे असहनीय पीड़ा होती है।

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