ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से हो रहा ईट-पत्थर के बाट का प्रयोग, लुट रहे उपभोक्ता

माप-तौल विभाग के उदासीन रवैये के कारण अंधराठाढ़ी प्रखंड के उपभोक्ता दिन-रात ठगे जा रहे हैं। हाट बाजार से लेकर दुकानों तक उपभोक्ता ठगी का शिकार हो रहे हैं। बावजूद माप-तौल विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 10:27 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 10:27 PM (IST)
ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से हो रहा ईट-पत्थर के बाट का प्रयोग, लुट रहे उपभोक्ता
ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से हो रहा ईट-पत्थर के बाट का प्रयोग, लुट रहे उपभोक्ता

मधुबनी । माप-तौल विभाग के उदासीन रवैये के कारण अंधराठाढ़ी प्रखंड के उपभोक्ता दिन-रात ठगे जा रहे हैं। हाट बाजार से लेकर दुकानों तक उपभोक्ता ठगी का शिकार हो रहे हैं। बावजूद, माप-तौल विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय है। न तो कभी विभागीय अधिकारी औचक निरीक्षण करते हैं, न ही दुकानदार कभी अपने बाट की जांच कराते हैं। ग्रामीण इलाकों की सब्जी मंडियों और लगने वाले साप्ताहिक हाट में बटखरे के रूप में मानक बाट की जगह ईंट-पत्थर का प्रयोग होता है। ये टूटकर या घिसकर मूल वजन से कम हो जाते हैं, बावजूद दुकानदार इनका इस्तेमाल करते रहते हैं। जबकि, इस बारे में सरकारी निर्देश है कि माप-तौल यंत्र का सत्यापन समय-समय पर होता रहे और संबंधित दुकानदार को इसकी रसीद भी दी जाए।

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ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश विक्रेताओं को नियम की जानकारी नहीं

बाजार में शुक्रवार को साप्ताहिक हाट लगा हुआ था। हाट पर आए सब्जी, मसाले, मछली, मटन और मुर्गा विक्रेता खुलेआम पुराने तराजू और पुराने बाट का प्रयोग करते दिखे। पूछने पर कहा कि कभी कोई जांच के लिए नहीं आया है। कई सब्जी विक्रेता बाट के जगह ईंट-पत्थर का इस्तेमाल करते दिखे। एतराज जताने पर कुछ दुकानदार ने कहा कि जहां सही बटखारा मिलता है, वहीं जाकर सब्जी ले लीजिए। कुछ विक्रेताओं को नियम ही नहीं पता कि माप-तौल में गड़बड़ी पर सजा का भी प्रावधान है।

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कागज पर है नियम :

अंधराठाढ़ी प्रखंड क्षेत्र में ये सारे नियम सिर्फ कागज पर दिखते हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को सही मात्रा में सामान मिलता है या नहीं, इसे देखने वाला कोई नहीं है। ग्रामीण इलाके में चाहे किराने दुकान हो, सब्•ाी वाला, मछली बाजार हो या फिर फेरी वाला, इन सभी के पास पुराने बाट हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि लोग कम वजन की शिकायत तो करते हैं, पर कार्रवाई नहीं होती। जिसके कारण लोगों ने धीरे-धीरे शिकायत करना ही छोड़ दिया। उपभोक्ता पूरा मूल्य चुकाने के बाद भी कम वजन लेने पर विवश हैं।

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वर्षों से नहीं हुई बाट-तराजू की जांच :

प्रखंड में माप-तौल विभाग का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। विभाग की स्थिति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि प्रखंड में पिछले कई वर्षो से फुटकर और ग्रामीण बाट-तराजू की जांच नहीं हुई। इस कारण जहां एक तरफ दुकानदारों की चांदी कट रही है, वहीं दूसरी ओर ग्राहकों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। जांच नही होने के कारण ऐसे विक्रेताओं में भी किसी प्रकार का कोई डर नहीं है।

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महंगाई और कम वजन की दोहरी मार :

बाजार के महेश कुमार कहते हैं कि सबसे ज्यादा परेशानी सब्जी वालों को लेकर होती है। कभी सही वजन नहीं देते। इस पर रोक लगनी चाहिए। ठाढ़ी के गोविद राय कहते हैं कि सबसे ज्यादा मछली, मुर्गा और मटन विक्रेताओं के यहां गड़बड़झाला है। वे कभी सही वजन नहीं देते हैं। मापतौल विभाग को इन पर कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, सुभक लाल राय ने कहा कि महंगी चीजों के वजन कम देने से काफी नुकसान होता है। एक तो महंगाई, ऊपर से खाने की चीजों में वजन कम होने से नुकसान ही होता है।

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