बाढ़ के पानी से अब भी घिरे हैं एक दर्जन गांव

मधुबनी। बेनीपट्टी प्रखंड में बाढ़ के पानी से एक दर्जन गांव अब भी घिरा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 02 Aug 2020 01:07 AM (IST) Updated:Sun, 02 Aug 2020 01:07 AM (IST)
बाढ़ के पानी से अब भी घिरे हैं एक दर्जन गांव
बाढ़ के पानी से अब भी घिरे हैं एक दर्जन गांव

मधुबनी। बेनीपट्टी प्रखंड में बाढ़ के पानी से एक दर्जन गांव अब भी घिरा हुआ है। बाढ़ से घिरे गांवों में तबाही व बर्बादी का मंजर दिखने लगा है। बाढ़ में सब कुछ बह रहा था। लोग अपना शरीर लेकर ऊंचे स्थान पर भागे, लेकिन सरकारी स्तर से अब तक कोई सहायता नहीं मिल पाई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 'अंधेर नगरी चौपट राजा' वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। बाढ़ से विस्थापित परिवार में आदमी, माल मवेशी एक साथ सड़क, बांध एवं स्कूलों में शरण लिए हुए हैं। कोरोना का खतरा, बाढ़ की दोहरी मार, पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं, मवेशी की चारा का घोर अभाव, सरकारी राहत की कोई व्यवस्था नहीं, नाव के लिए परेशानी, बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने में कठिनाई का सामना, यातायात संपर्क भंग जैसी कई समस्याओं से बाढ़ पीड़ित कराह रहे हैं। बाढ़ से पश्चिम क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक सड़क टूटकर ध्वस्त हो गई है। अधवारा समूह की धौंस नदी में धीरे-धीरे जलस्तर बढ़ने से लोगों में बेचैनी है। माधोपुर गांव के सड़क पर विस्थापित योगी सदाय, भोगी सदाय, अवध सदाय, रामसकल सदाय, सागर देवी, ललिता देवी, रामदुलारी देवी तथा नवगाछी बांध पर विस्थापित रामवरण सहनी, सरस्वती देवी, फुलमणी देवी, प्रमिला देवी, रजवा गांव में विस्थापित राम गुलाम यादव, सरिता देवी कहतीं हैं कि बाढ़ का पानी घर में घुस गया। सभी सामान घर में पानी में डूबकर बर्बाद हो गया। घर गिर जाने से चिता सताने लगी है। बाढ़ का पानी आने के बाद शरीर लेकर भागे। बीमार को इलाज के लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र माधोपुर जो एक किलोमीटर की दूरी पर हैं वहां ले जाते हैं लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने के कारण पच्चीस किलोमीटर की दूरी तय कर पीएचसी बेनीपट्टी ले जाना पड़ रहा है। बीमार लोगों को नाव के सहारे ही माधोपुर डायवर्सन पर पार कराया जाता है। चारों ओर बर्बादी का आलम है। भाजपा महिला मोर्चा के जिलाध्यक्ष सह जिला परिषद खुशबू कुमारी तथा जदयू के जिला सचिव ई. विनोद शंकर झा, समाजसेवी रमेश मिश्र ने सरकार एवं प्रशासन से बाढ़ प्रभावित गांवों में राहत व सहायता कार्य चलाए जाने, विस्थापित परिवारों को भोजन उपलब्ध कराने व किसानों को क्षति फसल की मुआवजा देने की मांग की है।

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