सावन में शिव की पूजा का है विशेष महत्व

मधेपुरा। श्रावण मास में भगवान शिव के पूजन का अत्यधिक महत्व है। शिव पुराण में शिवलिग की पूजा से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिव के पूजन से साधक को धन-धान्य सुख-समृद्धि व जीवन से जुड़े कष्टों से मुक्ति मिलती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 11:52 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 11:52 PM (IST)
सावन में शिव की पूजा का है विशेष महत्व
सावन में शिव की पूजा का है विशेष महत्व

मधेपुरा। श्रावण मास में भगवान शिव के पूजन का अत्यधिक महत्व है। शिव पुराण में शिवलिग की पूजा से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिव के पूजन से साधक को धन-धान्य, सुख-समृद्धि व जीवन से जुड़े कष्टों से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव के पार्थिव पूजन का महात्मय इस तरह से भी जाना जा सकता है कि स्वयं भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पहले इस उपाय को किया था। जीवन से जुड़े तमाम तरह के भय से मुक्ति और मोक्ष दिलाने वाले पूजन का खास महत्व है। लगातार दो वर्षों से कोरोना महामारी को लेकर सभी सार्वजनिक स्थानों में प्रशासन के द्वारा पूजा पर रोक लगा दी गई है। हम श्रद्धालुओं का यह दायित्व बनता है कि इस महामारी में हम लोग सरकार का सहयोग करें और अपने घर में ही देवों के देव महादेव का पूजा अर्चना करें। शिवलिग की पूजा का महत्व

पंडित विष्णु कांत वत्स ने बताया कि

सनातन परंपरा से जुड़े जितने भी देवताओं की पूजन की विधियां हैं। इसमें पार्थिव पूजन द्वारा शिव की साधना-आराधना को सबसे ज्यादा फल देने वाला बताया गया है। मान्यता है कि पार्थिव शिवलिग की पूजा करने से करोड़ों यज्ञों के समान फल मिलता है। तब भगवान राम ने किया पूजन भगवान श्री राम ने लंका के राजा रावण से मुकाबला करने से पहले विजय की कामाना से समुद्र तट पर शिवलिग का पूजन किया था। कुछ इसी तरह शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से ज्यादा शक्ति पाने के लिए काशी में शिवलिग बनाकर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त किया था।

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