चुनावी महापर्व व कोरोना गाइडलाइन के बीच दुर्गा पूजा की तैयारी जारी

मधेपुरा। साधना आराधना उपासना व शक्ति का महापर्व शारदीय नवरात्र आगामी सात अक्टूबर को कलश्

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 05:36 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 05:36 PM (IST)
चुनावी महापर्व व कोरोना गाइडलाइन के बीच दुर्गा पूजा की तैयारी जारी
चुनावी महापर्व व कोरोना गाइडलाइन के बीच दुर्गा पूजा की तैयारी जारी

मधेपुरा। साधना, आराधना, उपासना व शक्ति का महापर्व शारदीय नवरात्र आगामी सात अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी। कोरोना की वजह से नवरात्रा में पूजा-अर्चना तो निश्चित रूप से होगी, लेकिन संभावित कोरोना संकट के कारण पंडाल निर्माण व मेले के आयोजन की अनुमति सरकारी दिशा-निर्देश पर ही निर्भर करेगी।

मालूम हो कि शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के पूजा की तैयारी प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में युद्ध स्तर पर जारी है। शारदीय नवरात्र के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए सभी पूजा समिति के सदस्य तन-मन-धन से लगे हुए हैं। शिल्पकार आदि शक्ति जगदंबा सहित विभिन्न देवी-देवताओं के प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जी-जान से जुटे हैं। चुनावी महापर्व के बीच कोरोना महामारी के खौफ के बावजूद दुर्गा पूजा के प्रति श्रृद्धालुओं में अभी से आस्था व उत्साह दिखने लगा है। मुख्यालय स्थित काली मंदिर व भगवती मानस कामना मंदिर खेरहो में जहां सिर्फ कलश स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, भगवती मानस कामना दुर्गा मंदिर खेरहो में विजयादशमी के दिन विशालकाय रावण का पुतला दहन करने की प्रथा है जो बीते कई वर्षों से चलता आ रहा है। जबकि मुख्यालय के राय ब्रदर्स दुर्गा मंदिर, मकदमपुर दुर्गा मंदिर व चंडी स्थान महादलित टोला स्थित दुर्गा मंदिर में आदिशक्ति जगदंबा की पूजा-अर्चना वर्षों से की जाती है। पूजा समिति द्वारा फिलहाल मंदिर परिसर की साफ-सफाई कर उसका रंग-रोगन का कार्य जारी है। इन सभी पूजा स्थलों पर प्रतिमा निर्माण कार्य जोर-शोर से जारी है। इस बाबत गणेशपुर निवासी पंडित आचार्य दिनकर झा ने बताया कि सनातन धर्म में शक्ति के नौ रूपों की उपासना का विशेष महत्व है। वैसे तो माता की सवारी शेर की है। लेकिन नवरात्र में उनके आगमन व प्रस्थान के वाहन बदलते रहते हैं। इस बार माता का आगमन जहां डोली पर हो रहा है। जो शुभ संकेत नहीं है। वहीं माता का प्रस्थान गज वाहन (हाथी) पर होगा। जो काफी शुभ माना जा रहा है। इस बार नवरात्रा में माता की आराधना से भक्तों को शुभ फल प्राप्त होंगे। इस बार एक तिथि की क्षय है। 11 अक्टूबर को गज पूजा (विलवाभिमंत्रणम), 12 व 13 अक्टूबर को महाअष्टमी व्रत के साथ ही महारात्रि निशा पूजा व 14 अक्टूबर को महानवमी व्रत है। साथ ही 15 अक्टूबर को अपराजिता पूजा के साथ विजयदशमी होगी। विभिन्न पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि चुनावी आदर्श आचार संहिता व संभावित कोरोना संकट के कारण सरकार व प्रशासनिक दिशा-निर्देशालोक में ही पूजा सादगी एवं शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराई जाएगी।

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